मछुआटोली के घनी आबादी वाले इलाके में कूड़ा केंद्र पर हाईकोर्ट ने बिहार सरकार, पॉल्यूशन बोर्ड और पटना नगर निगम से किया जवाब तलब
पटना। पटना हाईकोर्ट ने राजधानी के मछुआटोली के घनी आबादी वाले क्षेत्र में स्थित गारबेज ट्रांसफर सेंटर व गारबेज प्रोसेसिंग के कार्यों को किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर शिफ्ट करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार, बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड तथा पटना नगर निगम से हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने मोहन प्रसाद व अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश को पारित किया। स्थानीय लोगों की असुविधाओं व स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के मद्देनजर क्षेत्र में इस प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगाने का आग्रह याचिका के जरिए किया गया है। याचिका दायर करने वाले मछुआटोली क्षेत्र के ही रहने वाले हैं।
याचिका में कहा गया है कि उक्त जमीन पर मिडिल स्कूल चल रहा था और शेष बचे जगह पर स्थानीय लोग उस खुले जगह का इस्तेमाल घूमने-टहलने के लिए करते थे। वहां बांकीपुर अंचल म्यूनिसिपल आॅफिस भी था, जिसे बाद में कही और शिफ्ट कर दिया गया। फिर, याचिकाकर्ताओं ने इस स्थान को चिल्ड्रेन पार्क के तौर पर विकसित करने का आग्रह संबंधित अधिकारियों से किया। लेकिन अधिकारियों ने उक्त जमीन पर मॉल बनाने का निर्णय लिया। निर्माण भी शुरू हुआ, लेकिन पूरा नहीं किया जा सका। जिसके परिणामस्वरूप आसामाजिक तत्वों का उक्त स्थान पर प्रवेश हुआ। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने संबंधित अधिकारियों से मॉल का निर्माण करने का आग्रह किया ताकि क्षेत्र साफ सुथरा रह सके। लेकिन, उस स्थान पर कूड़ा केंद्र और व्यवसाय के लिए खाद उत्पादन यूनिट की स्थापना कर दी गई है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अजित कुमार ने बताया कि इस प्रकार का कार्य म्यूनिसिपल लॉ, पर्यावरण लॉ व जनसंख्या से जुड़े कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन है। इतना ही नहीं, भारत के संविधान में वर्णित शालीनता के साथ रहने के अधिकार का भी उल्लंघन है। इसलिए इस याचिका को दायर किया गया है।