बिहार सरकार की नई ट्रांसफर पोस्टिंग पर पटना हाईकोर्ट ने लगाई रोक, स्थिति स्पष्ट करने का दिया निर्देश
पटना। बिहार में ट्रांसफर की राह देख रहे शिक्षकों को पटना हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को बिहार में शिक्षकों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर रोक लगा दी है। हाल ही में बिहार सरकार शिक्षकों की ट्रांसफर-पोस्टिंग की पॉलिसी लेकर आई थी। च्वाइस पोस्टिंग के लिए शिक्षा विभाग की तरफ से आवेदन भी लिए जा रहे थे। पटना हाईकोर्ट ने राज्य में शिक्षकों के स्थानांतरण व पदस्थापना पर तत्काल रोक लगाते हुए राज्य सरकार को तीन सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है।जस्टिस प्रभात कुमार सिंह ने इस सम्बन्ध में दायर याचिकायों पर सुनवाई की। वरीय अधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने शिक्षकों को निर्देश दिया था कि वे 22 नवंबर, 2024 तक वे अपना स्थानांतरण व पदस्थापन के लिए विकल्प दे दें। राज्य सरकार ने कहा कि यदि शिक्षक इस तारीख़ तक विकल्प नहीं देंगे,तो राज्य सरकार अपने स्तर पर स्थानांतरण व पदस्थापन का निर्णय ले लेगी। बिहार में शिक्षकों की ट्रांसफर पोस्टिंग नीति के खिलाफ औरंगाबाद के शिक्षकों की ओर से दायर केस की सुनवाई हाइकोर्ट में हुई है। कोर्ट में शिक्षकों की ओर अधिवक्ता मृत्युंजय कुमार ने पक्ष रखा जबकि सरकार की तरफ से सीनियर अधिवक्ता ललित किशोर ने पक्ष रखा। दोनों पक्ष को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने शिक्षकों के ट्रांसफर/पोस्टिंग पर फिलहाल स्टे स्टे लगा दिया है। हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद ट्रांसफऱ का इंतजार कर रहे बिहार के लाखों शिक्षकों के साथ साथ राज्य सरकार को भी बड़ी झटका लगा है। वरीय अधिवक्ता ललित किशोर ने बताया कि विभाग ने पुरुष शिक्षकों को दस सब डिवीज़न और महिला शिक्षकों को दस पंचायतों का विकल्प दिया था। उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार द्वारा मनमाने ढंग से विकल्प देने की बात कही गयी है। उन्होंने बताया कि 2023 के नियमों के अनुसार पुरुष व महिला शिक्षकों को तीन जिलों का विकल्प दिया गया था ।जबकि इस नये नियम में पुरुष शिक्षकों को दस सबडिवीज़न व महिला शिक्षकों को दस पंचायतों का विकल्प दिया गया है,जो पूर्व के नियम के विरुद्ध है। इस मामलें पर अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद की जाएगी। बिहार सरकार भले दावा कर रही हो कि शिक्षा विभाग में शिक्षकों की ट्रांसफर नीति अब पूरी तरह से दोष मुक्त हो चुकी है। लेकिन राज्य के शिक्षक इसे गुमराह करने की चाल मान रहे थे। शिक्षक संगठनों का कहना है कि ट्रांसफर-पोस्टिंग की जो नियमावली दी गई और ट्रांसफर-पोस्टिंग की जो प्रक्रिया एप्लीकेशन पर हो रही है, उसमें बहुत बड़ा अंतर है। इसलिए तमाम शिक्षक संघ के पास स्थानांतरण नीति के विरुद्ध न्यायालय जाने के अलावा कोई चारा नहीं था।कोर्ट ने दलील सुनने के बाद अपना फैसला सुना दिया है।