January 21, 2025

झारखंड के चौथी बार मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन, राज्यपाल ने दिलाई पद और गोपनीयता की शपथ, एकजुट दिखा इंडिया गठबंधन

रांची। हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में चौथी बार शपथ ग्रहण की है। इस ऐतिहासिक अवसर पर रांची के मोरहाबादी मैदान में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया, जहां उन्हें राज्यपाल संतोष गंगवार ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के प्रमुख हेमंत सोरेन ने यह पद ऐसे समय में संभाला है जब झारखंड में उनके नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने हाल ही में विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल किया है। 23 नवंबर को घोषित हुए विधानसभा चुनाव परिणामों में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में INDIA गठबंधन ने 81 में से 56 सीटों पर जीत दर्ज की। इसमें JMM ने 34 सीटें, कांग्रेस ने 16, राजद ने 4 और सीपीआई (माले) ने 2 सीटें जीतीं। इस शानदार जीत ने न केवल हेमंत सोरेन की राजनीतिक क्षमता को साबित किया बल्कि गठबंधन की एकता और झारखंड के लोगों के भरोसे को भी उजागर किया। हेमंत सोरेन ने अपनी शपथ ग्रहण के दौरान अपनी पार्टी और गठबंधन के प्रति एकजुटता का संदेश दिया। उन्होंने कहा, “हमारी एकता ही हमारा सबसे बड़ा हथियार है। हमें विभाजित नहीं किया जा सकता और न ही शांत किया जा सकता है। हम झारखंडी हैं और झारखंडी झुकते नहीं हैं। इस समारोह में विपक्षी INDIA गठबंधन की ताकत को प्रदर्शित करते हुए देश के 10 प्रमुख दलों के 18 बड़े नेता शामिल हुए। इनमें राहुल गांधी, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव जैसे बड़े नाम शामिल थे। यह उपस्थिति न केवल हेमंत सोरेन की राजनीतिक ताकत को मजबूत करती है, बल्कि विपक्षी दलों के बीच बढ़ते समन्वय को भी रेखांकित करती है। हेमंत सोरेन अपने पिता और झारखंड के वरिष्ठ नेता शिबू सोरेन को हाथ पकड़कर मंच तक लेकर गए। यह दृश्य न केवल पिता-पुत्र के रिश्ते की गहराई को दर्शाता है, बल्कि झारखंड की राजनीति में सोरेन परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका को भी उजागर करता है। हालांकि शपथ ग्रहण समारोह सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, लेकिन सरकार के गठन की प्रक्रिया पूरी तरह से अभी समाप्त नहीं हुई है। कांग्रेस के भीतर मंत्री पदों को लेकर रस्साकशी जारी है, जिसके चलते मंत्रिमंडल विस्तार को फिलहाल टाल दिया गया है। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने जानकारी दी कि मंत्रिमंडल का विस्तार बाद में किया जाएगा। यह स्थिति गठबंधन की जटिलताओं को उजागर करती है। कांग्रेस, जो गठबंधन का एक प्रमुख भागीदार है, सरकार में अपने हिस्से को लेकर चिंतित नजर आ रही है। मंत्री पदों के आवंटन पर सहमति बनने में हो रही देरी गठबंधन के भीतर समन्वय की आवश्यकता को रेखांकित करती है। हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में चौथी बार पदभार ग्रहण कर राज्य की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ा है। उनके नेतृत्व में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने न केवल झारखंड की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत की है, बल्कि विकास और जनहित के मुद्दों पर भी केंद्रित होकर अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान आदिवासी अधिकारों, खनिज संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और युवाओं के लिए रोजगार सृजन जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दी है। उनके इस नए कार्यकाल से झारखंड की जनता को काफी उम्मीदें हैं। हेमंत सोरेन का चौथी बार मुख्यमंत्री बनना झारखंड की राजनीति में एक ऐतिहासिक क्षण है। उनकी पार्टी और गठबंधन ने जनता के विश्वास को जीतकर यह साबित किया है कि झारखंड की राजनीति में वे एक प्रमुख शक्ति हैं। हालांकि, मंत्रिमंडल विस्तार और कांग्रेस के साथ समन्वय जैसे मुद्दे अभी हल होने बाकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि हेमंत सोरेन इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं और झारखंड को विकास के पथ पर कैसे आगे बढ़ाते हैं।

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