September 17, 2024

बिहटा-औरंगाबाद रेलवे परियोजना के लिए आमरण अनशन पर बैठे आंदोलनकारियों की बिगड़ी तबीयत

पटना। पालीगंज अनुमंडल मुख्यालय बाजार स्थित बिहटा मोड़ चौराहे पर बिहटा -औरंगाबाद रेलवे परियोजना शुरू करने के लिए 7 दिनों से आमरण अनशन पर बैठ आंदोलनकारियों को पक्ष -विपक्ष हो या केंद्र और राज्य सरकार के पदाधिकारी अबतक कोई सुधी लेने नहीं पहुंचा। जबकि अनिश्चित कालीन आमरण अनशन पर बैठे आंदोलनकारियों की दिन पर दिन हालत बिगड़ती जा रही है। वही दूसरी ओर बिहटा -औरंगाबाद रेलवे परियोजना के लिए स्थानीय लोगों का भरपूर जन समर्थन मिल रहे है। वही शनिवार को समर्थन में स्थानीय व्यवसाइयो ने अपनी दुकाने स्वेक्षा से कुछ घंटे बंद रखते हुए जोरदार समर्थन दिया। वही भकपा माले अरवल विधायक महानन्द सिंह धरना स्थल पर पहुंच कर आंदोलनकारियों का हौसला बढ़ाते हुए अपनी ओर से भरपूर समर्थन देने की बात कही। जबकि स्थानीय विधायक सन्दीप सौरभ ने भी अपना समर्थन दे चुके है। वही रविवार को आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओ ने भी समर्थन दिया। इसी क्रम में अनशन पफ बैठे बिहटा औरंगाबाद रेलवे निर्माण समिति के संयोजक चन्दन कुमार तथा आनन्द कुमार की तवियत रविवार को ज्यादा खराब हो गयी। जिन्हें स्थानीय पीएचसी में भर्ती कराया गया। लेकिन अबतक केंद्र सरकार के कानो तक आवाज नहीं पहुंच पा रही है। केंद्र और राज्य सरकार के कोई मंत्री हो या पदाधिकारी कोई भी धरना स्थल पर सुधि लेने की जहमत नहीं उठाई है। दो दिनों पूर्व रेलवे के महेंद्रू चीफ इंजीनियर आशुतोष मिश्रा आने की सूचना टेलीफोन की माध्यम से दिया था। लेकिन वे आजतक धरना स्थल पर नहीं पहुंच सके है। वही दूसरी ओर स्थानीय लोगों के साथ साथ कुछ जन प्रतिनिधियों का भी जन समर्थन भरपूर मिल रहे है। जिससे अनशनकारियों की हौसले पस्त नहीं हो रहे उलटे और मजबूती के साथ अनशन स्थल पर डटे हुए है। इस परियोजना के लिए आवाज लगभग 40 वर्ष पूर्व संसद भवन में तत्कालीन आरा के सांसद रहे चन्द्रदेव प्रसाद वर्मा ने इसकी आवाज बुलंद किया था। वही तत्कालीन रेल मंत्री रहे नितीश कुमार ने 2004 में इसकी घोषणा किया था। जबकि 2007 में तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री रहे लालू प्रसाद यादव ने इसकी शिलान्यास पालीगंज के खेल मैदान में एक विधिवत कार्यक्रम आयोजित कर केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रियों, सांसदों व विधायको समेत सैकड़ो की संख्या में मौजूद गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में किया था। लेकिन 2007 से अब तक 16 साल बीत चुके हैं। लगभग तीन केंद्रीय सरकारों की कार्यकाल भी खत्म हो चुकी हैं। लेकिन शिलान्यास होने के बावजूद भी आजतक यह जमीन पर नहीं उत्तर सकी है। जोकी यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक विषय है। बिहटा से औरंगाबाद तक की 117 किलोमीटर तक की दुरी बताई जा रही है। शिलान्यास के समय प्रस्तावित राशि 350 करोड़ थी जो कि अब तक  लगभग 4000 करोड़ से अधिक की हो चुकी है। यह परियोजना पूरी होने के बाद लगभग पटना से औरंगाबाद की सफर 5 घंटे से घटकर मात्र एक से डेढ़ घंटे रह जाएगी। समय की बचत होने के साथ-साथ सस्ती रेल यात्रा भी आम लोगों को लाभान्वित करेगी। पटना जिले के साथ-साथ अरवल, जहानाबाद,औरंगाबाद, गया, रोहतास समेत लगभग आधा दर्जन से अधिक जिले के लगभग एक करोड़ से अधिक की आबादी को परोक्ष या अपरोक्ष रूप से सीधे लाभान्वित होगी। लेकिन केंद्र सरकार के उदासीन रवैया की वजह से इस परियोजना के 42 वर्षों के परिकल्पना के बावजूद भी अब तक जमीन पर नहीं उतरना इस क्षेत्र के लोगों के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इसके लिए रेलवे संघर्ष समिति सड़क से लेकर सदन तक और पाली, पटना, अरवल और औरंगाबाद से लेकर दिल्ली तक आंदोलन छेड़े हुए है लेकिन केंद्र सरकार के कानो तक जु नहीं रेंग रही है।

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