जमीन अधिग्रहण में देरी और अवैध कब्जा के मुद्दे पर HC ने की तल्ख टिप्पणी, कहा- हमें हाईवे निर्माण की समीक्षा का कोई शौक नहीं

पटना। बिहार में हो रहे नेशनल हाइवे के निर्माण कार्यों से जुड़े मामलों पर गुरुवार को पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान जमीन अधिग्रहण में देरी और अवैध कब्जा के मुद्दे पर तल्ख टिप्पणी की। हाजीपुर-मुजफ्फरपुर एनएच के अवैध कब्जे के मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने कहा कि ‘इन योजनाओं के लिए केंद्र सरकार खर्च करती है, राज्य को सिर्फ जमीन देना होता है। यहां इसमें भी देरी हो रही है। हमें हाईवे निर्माण की समीक्षा का कोई शौक नहीं है, लेकिन बिना हमारे हस्तक्षेप के काम आगे नहीं बढ़ रहा है। इसलिए लाचार होकर कहना पड़ रहा है’।
इस मामले की समीक्षा के क्रम में खंडपीठ ने पाया कि पिछली सुनवाई में आदेश देने के बावजूद हाजीपुर स्थित रामाशीष चौक पर से अवैध कब्जा नहीं हटा है। न बस स्टैंड को खाली कराया गया है और न ही टेम्पो स्टैंड को। पुलिस थाना और पुलिस बिल्डिंग भी खाली नहीं हो पाया है। इस पर कोर्ट ने आदेश दिया कि 24 घंटे के अंदर इन सभी स्थानों को अवैध कब्जों से मुक्त कराए। साथ ही जमीन खाली कर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के हवाले कर दिया जाए, ताकि उस पर जल्द से जल्द सड़क निर्माण कार्य शुरू किया जा सके।
खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि ‘यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि 10 वर्ष पहले इन राजमार्गों की शुरूआत की गई थी, परंतु जमीन अधिग्रहण समय से नहीं होने के कारण अभी तक सड़कें पूरी नहीं की जा सकी हैं। इससे एक तरफ जनता को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो दूसरी तरफ सड़क निर्माण के खर्च में काफी वृद्धि हो रही है’।
इसके अलावा कोर्ट ने मुजफ्फरपुर के डीएम को आदेश दिया कि जल्द से जल्द जमीनों का कब्जा राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को दिया जाए, ताकि मुजफ्फरपुर बाईपास का निर्माण जल्द से जल्द पूरा हो सके। पटना-बख्तियारपुर एनएच के बारे में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के वरीय अधिवक्ता ने खंडपीठ को जानकारी दी कि इसके किनारे नालों को ढक कर सर्विस लेन और अंडरपास बनाना है। इसके लिए राज्य सरकार को राशि देनी है, लेकिन उसमें देरी हो रही है। इससे एनएच पर जाम लग रहा है। इस पर खंडपीठ ने सरकार के अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार को इससे संबंधित जानकारी लेकर अगली तिथि पर बताने को कहा।
