September 21, 2024

ग्रह-गोचरों के शुभ संयोग में महिलाएं 2 सितंबर को करेंगी हरितालिका तीज

अखंड सौभाग्य की कामना हेतु निर्जला व्रत रखकर करेंगी शिव-पार्वती की विधिवत पूजा

पटना। सुहागिन महिलाओं के अखंड सुहाग के लिए किया जाना वाला हरितालिका तीज व्रत 02 सितंबर दिन सोमवार को है। तीज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत-उपवास रखती हैं। तीज का व्रत रखने से विवाहित स्त्रियों के पति की उम्र लंबी होती है। शिव के समान पति की कामना के लिए इस व्रत को कुंवारी लड़कियां भी इस व्रत को पुरे विधि-विधान के साथ करती है। इस दिन पूजा में मिट्टी से भगवान शिव-पार्वती की मूर्ति बनाकर उसे वेदोक्त मंत्रो से विधिवत पूजा की जाती है।
मनमानस ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र के प्रणेता कर्मकांड विशेषज्ञ पं० राकेश झा शास्त्री ने बताया कि इस बार तीज का पर्व काफी सुखद संयोग लेकर आया है। तृतिया तिथि 02 सितंबर दिन सोमवार को सूर्योदय से लेकर प्रातः 09 :07 बजे तक है, लेकिन उद्या तिथि के मान से व्रती पुरे दिन तीज की पूजा करेंगी। इस दिन ग्रह-गोचरो का युग्म संयोग भी बन रहा है। भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र सोमवार दिन के साथ शुभ नामक योग का अति पुण्यप्रद संयोग बन रहा है। इस पुण्य योग में व्रत करने से अखंड सौभाग्य, सुख-समृद्धि, निरोग काया एवं पति की चिर आयु का आशीर्वाद मिलता है। इस तीज व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों के सौभाग्य में वृद्धि होगी तथा शिव-पार्वती उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान भी देंगे।

तपस्या और निष्ठा का व्रत

ज्योतिषी पंडित झा ने लिंग पुराण के हवाले से बताया कि माता पार्वती ने जंगल में जाकर शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए अन्न तथा जल ग्रहण किये वगैर सालो तक तप करती रही। तब शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किये थे। महिलाएं इस व्रत को तपस्या और निष्ठा के साथ करेंगी तो सात जन्मों तक शिव स्वरूप में उनके वही पति मिलेंगे।

त्रेता युग से हरितालिका तीज व्रत की परंपरा

पंडित झा के अनुसार हरितालिका तीज व्रत की परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है I माता पार्वती ने पहली बार शिव-पार्वती की बालुकामयी प्रतिमा बनाकर पूजा की थी। आज भी महिलाएं मिट्टी से भोलेनाथ-गौरी की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा करती है। पुरे दिन निराहार या फलाहार रहकर संध्या में पुरे विधि-विधान से पूजा करती है।

संतान की दीर्घायु के लिए चौथचंद्र (चउरचन) व्रत भी 02 सितंबर को

पंडित झा ने कहा कि बिहार में खासकर मिथिलांचल के प्रसिद्ध त्योहार चौथचंद्र (चउरचन) व्रत भी 02 सितंबर को ही मनाया जायेगा। श्रद्धालु संतान के दीर्घायु, आरोग्य एवं निष्कलंक के लिए ऋतूफल, दही तथा पकवान हाथ में लेकर चंद्र दर्शन करते है। इस दिन चन्द्रमा के पूजन एवं अर्घ्य देने से मनोविकार से मुक्ति, आरोग्यता, ऐश्वर्य, संतान के दीर्घायु होने का वरदान मिलता है। इसी दिन गणेश भगवान ने चन्द्रमा को श्रापमुक्त करके शीतलता एवं सौंदर्य का वरदान दिए थे।
हरितालिका तीज पूजन शुभ मुहूर्त
उद्या तिथि के अनुसार- पुरे दिन
प्रदोष मुहूर्त:- शाम 6:43 बजे से रात्रि 8:58 बजे तक
गुली काल मुहूर्त:- दोपहर 02:01 बजे से 03:35 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: मध्याह्न 12:01 बजे से 12:52 बजे तक

राशि के अनुसार करे तीज पूजा

मेष – शिव जी को पंचामृत से स्नान के बाद रेशमी वस्त्र धारण अर्पित करें।
वृष – शिव-पार्वती के पूजा बाद गुलाब का पुष्प अर्पण कर सुगंधित इत्र और धूप दिखाए।
मिथुन व मीन – हरा वस्त्र धारण कर पूजा में मां पार्वती को हल्दी व भोलेनाथ को सफेद चंदन अर्पित करें।
कर्क – पूजा के बाद शिव का श्रृंगार तथा साथ ही ॐ नमः शिवाय का जाप करना श्रेयस्कर होगा ।
सिंह – शिव- पार्वती को पीत पुष्प का हार चढ़ाकर रुद्राष्टकम का पाठ करें।
कन्या – तीज के दिन शिव जी को बेल पत्र और दूर्वा चढ़ाए। मेहंदी जरूर लगाएं।
तुला – महादेव को पंचामृत से स्नान करावे और साथ ही श्रृंगार की वस्तुओं का दान करें।
वृश्चिक – पीला वस्त्र धारण करके शिव-पार्वती की आराधना और पूजा करे साथ ही दूर्वा अर्पित करें।
धनु – लाल वस्त्र धारण कर पूजा में शिव-पार्वती को सुगन्धित पुष्प अर्पित करें।
मकर – शिवालय में भगवान शिव को सफेद चंदन लगाए तथा घी का दीपक प्रज्वलित करें।
कुंभ – गुलाबी वस्त्र धारण कर पूजा में महादेव को श्वेत पुष्प अर्पित करें।

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