जीएसटी ऑडिट के डेडलाइन नजदीक आने से कंपनियों की मुश्किलें बढ़ी,केंद्र सरकार से समय बढ़ाने की गुहार
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पटना।जीएसटी के ऑडिट की डेडलाइन पास आने के साथ ही कंपनियों के लिए कम्प्लायंस की मुश्किल बढ़ गई है। बहुत सी कंपनियों ने सरकार से संपर्क कर रिटर्न दाखिल करने की डेडलाइन बढ़ाने की भी मांग की है।
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गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स के ऑडिट की डेडलाइन पास आने के साथ ही कंपनियों के लिए कम्प्लायंस की मुश्किल बढ़ गई है। कई कंपनियों और बैंकों को आशंका है कि वे सभी राज्यों के लिए अलग ऑडिट का साल के अंत तक पालन नहीं कर सकेंगी क्योंकि वे राज्यवार रिटर्न के साथ अपने फाइनैंशल रिजल्ट तैयार नहीं करतीं।
बहुत सी कंपनियों ने सरकार से संपर्क कर रिटर्न दाखिल करने की डेडलाइन बढ़ाने की भी मांग की है। टैक्स रिटर्न जुलाई 2017 से मार्च 2018 तक की अवधि के लिए भरा जाना है। देश में कम से कम 2 करोड़ रुपये का सालाना रेवेन्यू रखने वाली सभी कंपनियों को इसका पालन करना होगा।
आर्थिक मामलों के जानकार एवं चार्टर्ड अकाउंटेंट संजय कुमार झा ने कहा, ‘राज्यों के रिटर्न भरने का नियम एक महीना पहले ही आया है और अधिकतर कंपनियों को राज्यों के रेवेन्यू के साथ अपने फाइनैंशल रिजल्ट तैयार करने में मुश्किल हो सकती है। सरकार से रिटर्न दाखिल करने की डेडलाइन बढ़ाने का निवेदन किया गया है।
अधिकतर बड़ी कंपनियों के लिए प्रत्येक राज्य में कम से कम 30 रजिस्ट्रेशन होंगे। इसका मतलब है कि उन्हें प्रत्येक राज्य में रिटर्न दाखिल करना होगा। इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि कुछ मामलों में समस्या यह है कि कुछ आमदनी और खर्च कंपनियों के लिए समान हैं और उन्हें एक विशेष राज्य में बांटना मुश्किल होगा।
आर्थिक मामलों के जानकार एवं चार्टर्ड अकाउंटेंट संजय कुमार झा ने बताया, ‘कुछ कंपनियों को ऐडवर्टाइजमेंट और ब्रैंडिंग जैसे सामान्य कॉर्पोरेट खर्चों पर मिलने वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट से निपटने की तरीके खोजने होंगे क्योंकि ऐसा हो सकता है कि वे पिछले फाइनैंशल इयर से जुड़े हों और मौजूदा फाइनैंशल इयर में तय हुए हों।’ कंपनियों की ओर से चुकाई जाने वाली ऑडिट फीस, फिक्स्ड डिपॉजिट पर इंटरेस्ट और स्क्रैप की बिक्री को भी राज्यों में बांटना मुश्किल होगा। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि बहुत सी कंपनियां इन खर्चों और आमदनी को उन राज्यों में दिखा रही हैं जहां उनका हेड ऑफिस है।
बहुत से मामलों में स्टैट्यूटरी ऑडिटर्स ने अभी तक फाइनैंशल रिजल्ट तैयार नहीं किए हैं। इसके साथ ही GST फ्रेमवर्क के अनुसार प्रत्येक राज्य में रिटर्न भरने के बाद उसे संशोधित नहीं किया जा सकता। ऐसी आशंका है कि जो कंपनियां 31 दिसंबर तक रिटर्न भरने की डेडलाइन चूक जाएंगी, उनकी स्क्रूटनी टैक्स अधिकारी पहले कर सकते हैं। अधिकतर कंपनियां चाहती हैं कि सरकार इन रिटर्न (GSTR 9 और GSTR 9C) को दाखिल करने की डेडलाइन बढ़ाकर 31 मार्च, 2019 करें।
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