क्या आज गिर जाएगी महागठबंधन की सरकार! सीएम दे सकते हैं इस्तीफा, जाने आगे की राह
पटना। बिहार की राजनीति में आज यानी शनिवार का दिन बेहद अहम माना जा रहा है। सियासत की गलियारों में मची उठा पटक के बीच इस बात की खबर पर अब मोहर लग चुकी है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब लालू प्रसाद यादव का दामन छोड़कर एक बार फिर से नरेंद्र मोदी के साथ होने वाले हैं। ऐसा माना जा रहा है कि बिहार में पिछले तीन-चार दिनों से मचे सियासी घमासान पर आज यानी शनिवार को अंतिम निर्णय हो जाएगा। माना यह जा रहा है कि नीतीश कुमार बिहार में महागठबंधन सरकार को भंग करके एक बार फिर से बीजेपी के साथ गठबंधन कर नई सरकार का गठन करेंगे इसके लिए वह आज देर शाम तक राजभवन जाकर इस्तीफा भी दे सकते हैं। आज का दिन बेहद अहम है क्योंकि आज नीतीश कुमार मुख्यमंत्री आवास पर अपने खास मंत्रियों और सभी विधायकों से मुलाकात करेंगे और आगे की रणनीति को लेकर उनकी राय जानेंगे। वही राज्य में होने वाले इस सियासी परिवर्तन को लेकर बिहार विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल भी अपनी तैयारी में जुट गई है। लालू प्रसाद यादव ने आज रावड़ी आवास पर सभी विधायकों की मीटिंग को बुलाया है। इस मीटिंग में सभी विधायकों की राय जानी जाएगी और आगे की राजनीति को लेकर विचार विमर्श होने की संभावना है। इसके साथ-साथ बिहार की राजनीति के जानकार यह बताते हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी पार्टी का अस्तित्व बचाए रखने के लिए शनिवार को ही त्यागपत्र दे सकते हैं। हालांकि इस खबर के विषय में अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि नीतीश कुमार अब इंडिया गठबंधन से नाता तोड़कर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन का एक प्रमुख हिस्सा होने जा रहे हैं इसको लेकर बिहार बीजेपी के साथ-साथ भाजपा केंद्रीय टीम ने भी दिल्ली से लेकर पटना तक बैठकों का दौड़ जारी रखा और अंतिम निर्णय यह हुआ कि बिहार में एक बार फिर से बीजेपी नीतीश कुमार के साथ सरकार बनाएगी और मुख्यमंत्री का चेहरा नीतीश कुमार ही होंगे। ऐसा माना जा रहा है कि नीतीश कुमार शनिवार या फिर रविवार को इस्तीफा देंगे और उसके अगले दिन नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा हालांकि, राजद और कांग्रेस इस स्थिति को लगातार ना कर रहा है और डैमेज कंट्रोल करने में जुटा हुआ है लेकिन नीतीश ने इस बार मन बना लिया है कि वह बिहार में महागठबंधन की सरकार को गिरा देंगे। गुरुवार की कैबिनेट बैठक से शुरू हुई खींचतान आखिरकार अब खत्म होगी और बिहार में फिर से नई सरकार का गठन होगा।
इंडिया गठबंधन की कार्य प्रणाली से नाराजगी, कुर्सी बचाने को लगेगा अंतिम दाव
जानकारी के मुताबिक बिहार की राजनीति में बीते तीन-चार दिनों से ही काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है, अगर इसकी पृष्ठभूमि को ध्यान से देखा जाए तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो विपक्षी दलों को एक मंच पर लाकर इंडिया गठबंधन के निर्माण में एवं भूमिका निभाने वाले सदस्यों में अग्रणी थे, लेकिन गठबंधन बन जाने के बाद लगातार चल रही सुस्त प्रक्रियाओं के कारण सीटों के बंटवारे में देरी होने से लगातार नीतीश कुमार और उनकी पार्टी नाराज दिख रही थी वही इंडिया गठबंधन के अधिकतर बड़े फैसले कांग्रेस के नेतृत्व अकेले ही ले लिया करता था जिसके बाद से ही नीतीश गठबंधन में अपनी भूमिका कम होने के कारण नाराज चल रहे थे। हालांकि उन्होंने कभी भी खुले मंच से इसके बारे में कुछ नहीं कहा लेकिन जदयू के अन्य कई नेता लगातार सीट बंटवारे में हो रही देरी को लेकर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से सवाल करते नजर आ रहे थे। वही चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम भी इस बात की ओर इशारा कर रहे थे कि देश में अभी नरेंद्र मोदी की सरकार को सही ढंग से चुनौती देने के लिए इंडिया गठबंधन को काफी मजबूत होना होगा लेकिन गठबंधन विपक्षी दलों की एकता से बंद तो गया लेकिन इंडिया गठबंधन में वह सारे काम नहीं हो पाए जो हो जाने चाहिए थे। इधर 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस का निमंत्रण को स्वीकार नहीं करना भी इंडिया गठबंधन की सबसे बड़ी कमजोरी बनकर उभरा। देश के हिंदू वोटरों में इंडिया गठबंधन के प्रति नकारात्मकता और विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हुई जिसके बाद बिहार की राजनीति के पुराने खिलाड़ी रहे नीतीश कुमार यह जान चुके थे कि इंडिया गठबंधन के सहारे नरेंद्र मोदी की सरकार को हराना मुश्किल है और उनका प्रधानमंत्री का सपना भी कम से कम 2024 के आम चुनाव में तो पूरा नहीं हो सकता इस कारण वह बिहार की कुर्सी बचाने के लिए एक बार फिर से महागठबंधन का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बनाएंगे हालांकि अभी तक इस खबर पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि शनिवार या रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस्तीफा देंगे और बीजेपी के साथ नई सरकार का गठन करेंगे। बिहार बीजेपी के कई नेताओं ने भी नीतीश के इस निर्णय का स्वागत किया है सुशील मोदी का बयान है कि राजनीति में किसी के लिए दरवाजे परमानेंट बंद नहीं होते दरवाजे बंद होते हैं तो खुलते भी रहते हैं। हालांकि परिणाम जो भी हो लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर से पहले बदलकर अपनी कुर्सी को बचा लेंगे हालांकि वह अपनी कुर्सी कब तक बचाए रखते हैं यह देखना दिलचस्प होगा क्योंकि उनके बार-बार पाला बदलने से बिहार के वोटरों में भी उनके खिलाफ एक ऐसी छवि बनी हुई है जो अगले चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी को बहुत नुकसान पहुंचाने का काम करेगी।