ठाकुर को मिला गिरिराज सिंह का साथ, कहा- उन्होंने दिल की पीड़ा कही, मुझे भी मुसलमानों ने नहीं दिया वोट

पटना। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने सीतामढ़ी के सांसद देवेश चंद्र ठाकुर के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि ठाकुर ने अपने दिल की पीड़ा व्यक्त की है। देवेश चंद्र ठाकुर ने कई वर्षों तक विधान पार्षद के रूप में समाज के सभी वर्गों के लिए काम किया है। यदि ऐसे व्यक्ति को समाज के सभी वर्गों का समर्थन नहीं मिलता है, तो स्वाभाविक है कि उनके मन में दुख होगा और वे इस तरह की बात करेंगे। बुधवार को दिल्ली रवाना होते समय गिरिराज सिंह ने मीडिया से बातचीत की और अपनी पीड़ा भी साझा की। उन्होंने कहा कि मुसलमानों ने उन्हें भी वोट नहीं दिया, जबकि सभी योजनाओं का लाभ समान रूप से सभी को मिलता है। किसी समाज या जाति के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है। यदि कुछ लोग साजिश के तहत ऐसा कर रहे हैं, तो यह गलत है। गिरिराज सिंह ने कहा कि ठाकुर ने अपने दिल की भावना को व्यक्त किया है और यह उनकी पीड़ा को दर्शाता है। गिरिराज सिंह ने कहा कि ठाकुर वर्षों से एमएलसी थे और सभी धर्मों के लिए काम करते थे। वोट न मिलने से उनका दिल टूट गया है। उन्होंने कहा, “मुझे भी मुसलमानों ने वोट नहीं किया। सरकार सभी के लिए एक समान काम करती है, लेकिन मुसलमानों ने तय कर लिया है कि वे वोट नहीं देंगे। यह एक सोची समझी रणनीति है जो सनातन धर्म को कमजोर करने का प्रयास है। गिरिराज सिंह ने यह भी कहा कि कहीं न कहीं सनातन धर्म को कमजोर करने की साजिश रची जा रही है। देश में गजवा-ए-हिंद को स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। यही कारण है कि मुसलमान सनातन धर्म के मानने वालों को या उसे मजबूत करने वालों को वोट नहीं देते हैं। बता दें कि सीतामढ़ी से नवनिर्वाचित सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने एक बयान में कहा था कि वे मुसलमानों के लिए काम नहीं करेंगे। सीतामढ़ी में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने लंबे समय से सभी वर्गों के लिए काम किया, लेकिन मुसलमानों ने उन्हें वोट नहीं दिया। उन्होंने कहा, “अगर कोई मुसलमान आता है तो उसे चाय पानी पिलाऊंगा, मिठाई खिलाऊंगा लेकिन उनके लिए काम नहीं करूंगा। इस प्रकार, देवेश चंद्र ठाकुर और गिरिराज सिंह दोनों ने अपनी पीड़ा व्यक्त की है कि मुसलमानों ने उनके द्वारा किए गए कार्यों के बावजूद उन्हें वोट नहीं दिया। इस संदर्भ में, गिरिराज सिंह ने ठाकुर के बयान का समर्थन किया और इसे सनातन धर्म को कमजोर करने की साजिश के रूप में देखा।

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