लालू यादव का अमित शाह पर हमला, कहा- वे पागल हो गए, उन्हें तुरंत देना चाहिए इस्तीफा
- राजद सुप्रीमो का हमला…उनके मन में बाबा साहब के प्रति घृणा…ऐसे लोग राजनीति में ना रहे तो अच्छा
पटना। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राज्यसभा में दिए गए एक बयान ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। गृह मंत्री द्वारा संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर के संदर्भ में की गई टिप्पणी पर विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के साथ राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी अमित शाह पर तीखा हमला किया। गुरुवार को पटना में पत्रकारों से बातचीत करते हुए लालू यादव ने अमित शाह के बयान की आलोचना करते हुए कहा, “हमने अमित शाह का बयान सुना। उनके बयान से यह स्पष्ट है कि वह पागल हो गए हैं। उन्हें तुरंत अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए और राजनीति छोड़ देनी चाहिए।” उन्होंने अमित शाह पर भीमराव अंबेडकर के प्रति घृणा का आरोप लगाते हुए कहा कि उनका यह बयान अंबेडकर जैसे महान व्यक्तित्व का अपमान है। लालू ने इसे उनके मानसिक संतुलन खोने का प्रमाण बताया और उनके इस्तीफे की मांग की। राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा था, “आजकल अंबेडकर-अंबेडकर नाम लेने का एक फैशन बन गया है। अगर उतना नाम भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।” इस बयान को लेकर विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध जताया और इसे अंबेडकर और भारतीय संविधान का अपमान बताया। कांग्रेस और अन्य दलों ने शाह के बयान को संविधान निर्माता के प्रति असम्मानजनक बताते हुए इसे निंदनीय करार दिया। कांग्रेस ने मांग की कि अमित शाह को न केवल माफी मांगनी चाहिए बल्कि अपने पद से इस्तीफा भी देना चाहिए। राजद और अन्य दलों ने भी इसी स्वर में शाह पर हमला किया। लालू प्रसाद यादव ने कहा कि डॉ। भीमराव अंबेडकर न केवल भारतीय संविधान के निर्माता हैं, बल्कि एक महान समाज सुधारक और प्रेरणा स्रोत भी हैं। उन्होंने कहा, “अंबेडकर जी महान हैं, भगवान हैं। उनका अपमान भारतीय लोकतंत्र का अपमान है।” उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे लोगों को राजनीति में रहने का कोई अधिकार नहीं है। अमित शाह के बयान ने विपक्ष को भाजपा के खिलाफ एकजुट होने का मौका दे दिया है। लालू यादव और अन्य विपक्षी नेताओं के तीखे बयान इस बात का संकेत हैं कि अंबेडकर के प्रति जनता की संवेदनशीलता को राजनीतिक तौर पर भुनाने की कोशिशें तेज होंगी। अमित शाह की टिप्पणी से उपजा यह विवाद आगामी राजनीतिक माहौल को और गरमा सकता है। बयान देने से पहले उन्होंने कल शाम भी सोशल मीडिया के जरिए हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि गोलवलकर की जेनेटिक संतानों ने हमेशा हमारे आदर्श बाबा साहेब अंबेडकर को नहीं माना है। लालू प्रसाद यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट कर लिखा कि गोलवलकर की जेनेटिक संतानों ने हमेशा हमारे आदर्श बाबा साहेब अंबेडकर को नहीं माना है। इस किताब के अनुयायी संविधान निर्माता डॉ अंबेडकर के विचारों को कभी नहीं अपना सकते, इसलिए अब वे बाबा साहेब को गालियों से संबोधित कर रहे हैं।
नफरत और घृणा संघी भाजपा नेताओं के खून में है: लालू
अंबेडकर के प्रति नफरत सिर्फ शब्दों में ही नहीं बल्कि संघी भाजपा नेताओं की बॉडी लैंग्वेज में भी दिखाई देती है। सामाजिक असमानता, विषमता, असमानता, छुआछूत, भेदभाव, संविधान-दलितों-वंचितों-उपेक्षितों के प्रति नफरत और घृणा संघी भाजपा नेताओं के खून में है। बाबा साहेब अंबेडकर के असली अनुयायी भाजपा वालों की तरफ देखते भी नहीं और अब महापुरुष अंबेडकर साहब का अपमान करने के बाद भी अगर कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के साथ है तो इसका मतलब है कि वह गोलवलकर, अंबेडकर और भाजपा वालों का उपासक और कट्टर चाटुकार है।
बयान पर सफाई दे चुके हैं शाह
राज्यसभा में अंबेडकर को लेकर अपनी टिप्पणी पर गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई दी। कहा- ‘संसद में बात तथ्य और सत्य के आधार पर होनी चाहिए। भाजपा के सदस्यों ने ऐसा ही किया। जब साबित हो गया कि कांग्रेस अंबेडकर विरोधी पार्टी है, आरक्षण विरोधी है, संविधान विरोधी है, तो कांग्रेस ने अपनी पुरानी रणनीति अपनाते हुए बयानों को तोड़ना-मरोड़ना शुरू कर दिया। इससे पहले खड़गे ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर पर अमित शाह की टिप्पणी को लेकर बुधवार शाम करीब साढ़े चार बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से मांग की कि गृह मंत्री अमित शाह को रात 12 बजे से पहले बर्खास्त कर दें। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी और शाह एक-दूसरे के पापों और बातों का बचाव करते हैं।