छठ से पहले सरकार ने पंचायत जनप्रतिनिधियों को दिया बड़ा गिफ्ट, दोगुना मानदेय भुगतान का आदेश जारी
पटना। बिहार सरकार ने पंचायत जनप्रतिनिधियों के लिए छठ महापर्व से पहले एक बड़ी सौगात दी है। पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता ने घोषणा की कि छठ पूजा के पहले पंचायत प्रतिनिधियों को उनके बढ़े हुए मानदेय का भुगतान किया जाएगा। इस फैसले के तहत पंचायत जनप्रतिनिधियों का मानदेय पहले से दोगुना कर दिया गया है और अब पहली बार नई दरों पर उन्हें भुगतान मिलेगा। इस फैसले से राज्य में पंचायत सरकार से जुड़े लगभग 2 लाख 37 हजार जनप्रतिनिधियों में हर्ष का माहौल है। पंचायती राज के जनप्रतिनिधियों का मानदेय वर्ष में केवल दो से तीन बार ही दिया जाता है, जो उनके लिए सीमित आर्थिक समर्थन का कारण बनता है। इस बार सरकार ने तय किया कि छठ पर्व से पहले ही बढ़े हुए मानदेय का भुगतान सुनिश्चित किया जाए ताकि जनप्रतिनिधि आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें और त्योहार का आनंद ले सकें। मानदेय वृद्धि की यह पहल इस साल जनवरी में की गई थी, लेकिन अभी तक नए दरों पर भुगतान संभव नहीं हो पाया था। अब यह निर्णय लेते हुए राज्य सरकार ने पंचायती राज मंत्री के आदेश पर बजट की पर्याप्तता सुनिश्चित कर दी है ताकि सभी पंचायत प्रतिनिधियों को समय पर उनके नए दर से मानदेय मिल सके। जनवरी में घोषित नई दरों के अनुसार, मुखिया और सरपंचों का मानदेय बढ़ाकर 5000 रुपये कर दिया गया है, जबकि उपमुखिया और उपसरपंचों को 2500 रुपये मिलेंगे। ग्राम पंचायत सदस्यों को 800 रुपये का मानदेय तय किया गया है। इसका मतलब है कि अब पंचायत के प्रतिनिधि पहले की तुलना में दोगुना मानदेय प्राप्त करेंगे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। बिहार में छठ पर्व का एक विशेष सांस्कृतिक महत्व है और इस पर्व को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। जनप्रतिनिधियों के लिए यह एक ऐसा समय होता है जब वे अपने समुदाय के लोगों के साथ त्योहार की खुशियां बांटते हैं। इस महत्वपूर्ण अवसर पर मानदेय का समय पर भुगतान सुनिश्चित करना सरकार की ओर से एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है। यह पहल जनप्रतिनिधियों के आत्मसम्मान और उनके आर्थिक सशक्तिकरण का भी प्रतीक है। नीतीश सरकार का यह फैसला केवल आर्थिक मदद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सकारात्मक राजनीतिक संदेश भी भेजता है। पंचायत जनप्रतिनिधि ग्रामीण क्षेत्रों के प्रशासन में एक महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं और उनके कल्याण से ही सरकार की नीतियों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित होता है। इस फैसले के माध्यम से सरकार ने पंचायतों की भूमिका को सम्मानित किया है, साथ ही यह भी संदेश दिया है कि राज्य के विकास में पंचायत प्रतिनिधियों का महत्वपूर्ण योगदान है। पंचायत प्रतिनिधियों में इस फैसले के प्रति जो उत्साह है, वह आगामी चुनावों में सरकार के लिए सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। बिहार में पंचायत सरकार का ढांचा अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसमें मुखिया, सरपंच, उपमुखिया, वार्ड सदस्य, पंचायत समिति सदस्य, और जिला परिषद सदस्य शामिल हैं। ये जनप्रतिनिधि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय शासन का कार्यभार संभालते हैं और ग्रामीण विकास योजनाओं को जमीन पर लागू करते हैं। ऐसे में इनकी आर्थिक मजबूती न केवल इनके व्यक्तिगत जीवन के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि इससे इनकी कार्यक्षमता में भी वृद्धि होती है। पंचायत प्रतिनिधियों का सम्मान बढ़ाकर राज्य सरकार ने उनकी महत्ता को पहचाना है और विकास के प्रति उनकी भूमिका को प्रोत्साहन दिया है। इस बढ़े हुए मानदेय से पंचायत प्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारियों को और अधिक गंभीरता से ले सकेंगे और आर्थिक सुरक्षा के चलते अपनी भूमिका का सही तरीके से निर्वहन कर सकेंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों में तेजी आने की संभावना है। पंचायत जनप्रतिनिधियों में इस फैसले से जो उत्साह है, वह निश्चित रूप से उनके काम करने के उत्साह को बढ़ाएगा। बिहार सरकार का यह निर्णय पंचायत प्रतिनिधियों के लिए एक बड़ी राहत और प्रोत्साहन का काम करेगा। छठ महापर्व जैसे महत्वपूर्ण त्योहार पर मानदेय के भुगतान का आदेश न केवल उनके आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में कदम है बल्कि उनकी महत्ता और सम्मान को भी दर्शाता है। इस निर्णय से जनप्रतिनिधियों में उत्साह की लहर दौड़ी है और उम्मीद है कि यह उनके कार्यक्षमता में सकारात्मक बदलाव लाएगा।