आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है गया का यह प्राथमिक विद्यालय
डूमरिया/ गया (अरुणजय पंडित )तो चलिये आज हम डूमरिया प्रखंड के महुडी पंचायत अंतर्गत बरवाडीह प्राथमिक बिद्यालय की स्थिति से आपको अवगत कराते हैं।200 विद्यार्थियों के लिये कमरा ही नही है बरामदे और बाहर में बैठकर बच्चे पढ़ाई करते है।एक कमरा है भी तो वहाँ माध्यम भोजन के लिए चावल व अन्य सामग्री रखी जाती है कुर्सी और कार्यालय संबंधित दस्तावेज भी वही रखे जाते है बेंच श्यामपट्ट चहारदीवारी तो है ही नही।हालांकि शिक्षको संख्या थोड़ी ठीक है एक से पांचवी तक बच्चों को पढ़ाने के लिये पांच शिक्षक है।जमीन का फर्स जगह जगह टूट चुका है। बारिश की मौसम में कक्षा में पानी टपकता है यहाँ बच्चे जमीन पर बैठकर ही पढ़ाई करते है।वर्ष 1990में स्थापित इस बिद्यालय की देखकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा खोखले साबित हो रही है।विद्यालय में एक रसोई घर और एक शौचालय है। हालांकि छात्रो की भोजन समय पर जरूर मिल जाता है।प्रभारी प्रथानाध्यपक सुजय कुमार पासवान कहते है भवन के लिये ,शिक्षा बिभाग को कई वार आवेदन दिया ,लेकिन आज तक न आश्वासन मिला और न ही भवन के लिये रुपये आवंटित हुआ।चहारदीवारी न होने से पशु बिद्यालय परिसर में घुस आते है जिससे बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस करते है खेल कूद के लिये मैदान नही है बच्चों सर्वागीण विकास के लिये सरकार द्वारा प्रत्येक बिद्यालय में लोहे का झूला ,फिसलन पट्टी उपलब्ध कराया गया था।लेकिन इस स्कूल को आज तक राशि उपलब्ध नही हुई है । साल पूरे होने को है और विद्यार्थियों पुस्तक नही मिली है बिना पढ़े ही बच्चों ने परीक्षा दे दी है कक्षा पांच के सनम कुमारी कहती है कि बिद्यालय में कमरे नही होने से पढ़ाई प्रभावित हो रही है नीचे बैठने से बर्दी गंदा हो जाती है।यहां सिर्फ और सिर्फ समस्या है कहे तो कहे किसको शिक्षा विभाग और प्रसासन को समय रहते इस ओर ध्यान देने की है जरूरत।कक्षा तृतीय रीना कुमारी कहती है कमरे और बेंच के अभाव में पढ़ाई करने में दिक्कत होती है स्कूल में खेलने के लिये मैदान तक नही है चहारदीवारी नही होने से स्कूल परिसर में जानवर के घुसने से बच्चे सहम जाते है।
स्कूल में शयमपठ नही है।कक्षा चतुर्थ की छात्रा कहती है कि सबसे ज्यादा समस्या बरसात के दिनों में होती है छत से पानी टपकने के कारण बरामदे में भी पढ़ाई नही होती है ऐसे में कई बार छुट्टी की जाती है और भी कई समस्याओं से के दो चार बार होना पड़ता है।