सिद्ध व रवियोग के युग्म संयोग में इस दिन मनेगा गंगा दशहरा
पटना। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी 9 जून (गुरुवार) को हस्त नक्षत्र एवं तैतिल करण के अनूठे संयोग में गंगा दशहरा का पावन त्योहार मनाया जाएगा। वराह पुराण के अनुसार इसी दिन धरती पर वृष लग्न व हस्त नक्षत्र में जीवनदायिनी मां गंगा का अवतरण हुआ था। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने रामेश्वरम में इसी दिन शिवलिंग की स्थापना की थी। गंगा दशहरा के दिन गंगा में आस्था की डूबकी लगाने एवं दान-पुण्य करने से महापातकों के बराबर दस प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। गंगा दशहरा के दिन मोक्षदायिनी गंगा पृथ्वी पर शुध्दता, पवित्रता व संपन्नता लेकर आयी थी। इस दिन घरों में भी स्नान जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करने से गंगा स्नान का पुण्य फल मिलता है।
स्नान-दान से दस महापातकों से मिलेगी मुक्ति
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने स्कन्द पुराण के हवाले से बताया कि धर्म शास्त्रों में ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को संवत्सरमुखी मानी गई है। इसमें स्नान और दान बहुत ही पुण्यप्रद बताया गया है। स्मृति ग्रंथ के मुताबिक गंगा दशहरा को पतित पावनी गंगा में स्नान तथा धर्मकृत्य करने से दस महापातकों (तीन कायिक, चार वाचिक व तीन मानसिक) के बराबर का पाप से मुक्ति मिलती है। इस दिन हस्त नक्षत्र, तैतिल करण के साथ सिद्धयोग एवं रवियोग में होने से ग्रह-गोचरों का युग्म संयोग बन रहा है। भविष्य पुराण के अनुसार गंगा दशहरा के दिन स्नान, पूजा के बाद ‘ॐ नारायण्यै दशहरायै गंगायै नम:’ का दस बार जप करने से कर्ज व कलंक के दोष से मुक्ति एवं अनंत पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
सत्तू व दीपक दान से मिलेगी आरोग्यता
पंडित झा ने वराह व शिव पुराण का हवाला देते हुए बताया कि गंगा दशहरा के दिन सत्तू, पंखा, ऋतु फल, सुपाड़ी, गुड़, जल युक्त घड़ा के दान से आरोग्यता, समृद्धि और वंश वृद्धि का वरदान मिलता है। इस दिन स्नान के बाद दस दीपों की दान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा दशहरा को गंगा ध्यान व स्नान मात्र से काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सर, ईर्ष्या, ब्रह्महत्या, छल, कपट, परनिंदा जैसे पापों से मुक्ति मिल जाती है।
गंगा की स्वच्छता का लेंगे संकल्प
धमार्चार्य पंडित राकेश झा ने सर्वहित के लिए कहा कि गंगा दशहरा के दिन गंगा को स्वच्छ रखने का संकल्प लें। इसे साफ-सुथरा रखेंगे, गंदगी या पूजन अवशेष नहीं डालेंगे। इससे मां गंगा का अस्तित्व बना रहेगा। गंगा की सबसे बड़ी पूजा उसकी निर्मलता को बरकरार रखने की है।