चुनाव से पहले पूर्व सांसद ने छोड़ा चिराग का साथ, पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अरुण कुमार ने दिया इस्तीफा
पटना। लोकसभा चुनाव को लेकर तारीखों का एलान हो गया है। बिहार में सात चरणों में चुनाव होना है और इसको लेकर सभी राजनीतिक दलों के तरफ से तैयारी भी कर ली गई है। ऐसे में एनडीए में इस बार सीट बंटवारा के फॉर्मूले के तहत जदयू को 16 सीट, भाजपा को 17 सीट, लोजपा (रामविलास ) को 5 सीट और जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को एक -एक सीट दिया गया। इसके कुछ दिन बाद कैंडिडेट के नाम का भी एलान कर दिया। लेकिन, इसमें देखने वाली बात यह थी कि जहानाबाद सीट वापस से जदयू के खाते में गया और इस सीट पर कैंडिडेट भी वही रहे। वही अब लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व सांसद अरुण कुमार ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। वह टिकट नहीं मिलने से नाराज थे। अरुण कुमार ने कहा-चिराग पासवान को यह समझना चाहिए कि हम लोग माला जपने वाले हिमालय के साधु नहीं है। हम तो जनता के हक की लड़ाई के लिए 40 साल से राजनीति कर रहे हैं। इसलिए मैंने खुद को उनसे अलग कर लिया। अरुण कुमार बसपा में शामिल हो सकते हैं। वो जहानाबाद से टिकट चाहते थे। पर एनडीए में बंटवारे के तहत यह सीट जदयू को मिली। वहां से चंदेश्वर चंद्रवंशी उम्मीदवार घोषित हुए हैं। अरुण कुमार ने कहा कि पिछले दो दिनों से मैं पटना में हूं। यहां पर कई लोग मुझसे आकर मिल रहे हैं। वह लोग चुनावी मैदान में उतरने की बात भी कह रहे हैं। इस विषय में हम बाद में निर्णय लेंगे। लेकिन, ये तय है कि अब मैं लोजपा (रामविलास) के साथ नहीं हूं। इसके आगे जब उनसे सवाल किया गया की क्या लगता है, आपके साथ चिराग पासवान ने धोखा किया है। इसको लेकर उन्होंने कहा कि सब चीज जनता देख रही है। हमने हर एक मौके पर चिराग पासवान का साथ दिया था। बता दे की उपेंद्र कुशवाहा और उनकी पार्टी रालोसपा के जदयू में विलय से पहले 2018 में पूर्व सांसद अरुण कुमार अलग हो गए थे। इसके बाद उन्होंने भारतीय सबलोग पार्टी बनाई। नीतीश कुमार और इनकी सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ अरुण कुमार हमेशा आवाज उठाते रहे हैं। उसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी का विलय चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी में कर लिया। लगभग तीन साल तक ये चिराग पासवान के साथ रहे और अब इन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया।