जातीय गणना के आंकड़ों के डर से केंद्र ने कर्पूरी ठाकुर को दिया भारत रत्न : लाल यादव
- राजद सुप्रीमो बोले- कर्पूरी ठाकुर जी ने बहुजन हितार्थ को बढ़ाया, पूरा बिहार उनका ऋणी रहेगा
पटना। मोदी सरकार ने जैसे ही बिहार के महान समाजवादी नेता और पूर्व दिवंगत मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा की वैसे ही बिहार की सियासत तेज हो गई। भाजपा, जेडीयू और आरजेडी के नेताओं की तरफ से लगातार प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। अब इसी क्रम में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की भी तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। लालू यादव ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट करते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा। लालू प्रसाद यादव ने लिखा कि जातिगत जनगणना के डर से मोदी सरकार ने यह कदम उठाया। लालू प्रसाद यादव ने लिखा कि मेरे राजनीतिक और वैचारिक गुरु दिवंगत कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न अब से बहुत पहले मिलना चाहिए था। हमने सदन से लेकर सड़क तक ये आवाज उठाई लेकिन केंद्र सरकार तब जागी जब सामाजिक सरोकार की मौजूदा बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना करवाई और आरक्षण का दायरा बहुजन हितार्थ बढ़ाया। डर ही सही राजनीति को दलित बहुजन सरोकार पर आना ही होगा। राजद प्रमुख ने अपने इस बयान के जरिए करीब करीब यह साफ करने की कोशिश की कि बिहार की मौजूदा नीतीश-तेजस्वी की सरकार ने जातिगत जनगणना करवाई और आरक्षण का दायरा बहुजन समाज की हित मे बढ़ाया जिसके बाद केंद्र सरकार ने बहुजन समाज के डर की वजह से यह निर्णय लिया है। कम शब्दों में ही सही लालू ने विरोधियों को अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। आज पटना में सभी पार्टियों के जरिए कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाई जा रही है। इसके लिए जेडीयू, बीजेपी और आरजेडी तीनों पार्टियां जोर शोर से लगीं हैं। पिछड़ी जाति से आने वाले कर्पूरी ठाकुर की छवि एक बड़े समाजवादी नेता के तौर पर रही है। कर्पूरी ठाकुर पहली बार 1967 में बिहार के ‘डिप्टी सीएम’ बने और दो बार सीएम भी बने। वो कांग्रेस के खिलाफ थे। बिहार की राजनीति में वो खासा महत्व रखते हैं। बिहार में पिछड़ों को सबसे पहले आरक्षण देने का काम भी उन्होंने ही किया था। आज के दौर के नेता भी इस चुनावी साल में उन्हीं के नाम के सहारे खुद की नईया पार लगाना चाहते हैं, ताकि पिछड़ों और गरिबों को खुश कर सकें।