कांग्रेस व राजद ने समाजवाद के नाम पर परिवारवाद को प्राथमिकता देने का काम किया : उमेश कुशवाहा
- राहुल गांधी द्वारा जातीय गणना पर श्रेय लेने की कोशिश कांग्रेस पार्टी की ओछी मानसिकता को दर्शाता है : उमेश कुशवाहा
पटना। बिहार जदयू के माननीय प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कांग्रेस व राजद को जमकर लताड़ लगाई। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय की बात करने वाली कांग्रेस पार्टी को पहले इस बात का जवाब देना चाहिए कि उन्होंने अपने शासनकाल में सामाजिक न्याय के पुरोधा जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न क्यों नहीं दिया था? और राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव तत्कालीन UPA की सरकार में कद्दावर मंत्री की भूमिका निभा रहे थे, तब लालू प्रसाद यादव की ओर से जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिलाने के लिए क्या पहल किए गए थे? कुशवाहा ने आगे कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर के प्रति अगर कांग्रेस पार्टी की मंशा साफ होती तो उन्हें बहुत पहले ही भारत रत्न मिल चुका होता लेकिन कांग्रेस पार्टी कभी भी अपने परिवार से आगे कुछ सोचती ही नहीं है। कांग्रेस और राजद का सामाजिक न्याय उनके परिवार के इर्दगिर्द ही सिमट कर रह जाता है। समाजवाद के नाम पर कांग्रेस और राजद ने परिवारवाद को प्राथमिकता देने का काम किया है। सत्ता में रहते हुए दोनों दलों ने सिर्फ अपने परिवार का भला किया और गैरकानूनी तरीके से अकूत संपत्ति बनाई है। साथ ही उन्होंने कहा कि राहुल गांधी द्वारा जातीय गणना पर श्रेय लेने की कोशिश उनकी दूषित व ओछी मानसिकता को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयास से जातीय गणना राष्ट्रीय मुद्दा बना व उनकी प्रतिबद्धता के कारण बिहार में जातीय गणना का कठिन काम समय पर संपन्न भी हुआ। यह बात भी सर्वविदित है कि इंडी गठबंधन की बैठक में जदयू की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर जातीय गणना को लेकर प्रस्ताव पारित करने की बात कही गई तब कांग्रेस पार्टी ने इस पर मौन धारण कर लिया था। कुशवाहा ने पूछा कि कांग्रेस पार्टी अगर वाकई में जातीय गणना को लेकर इतनी गंभीर है तो लंबे समय तक केंद्र की सरकार में रहने के बावजूद भी उन्होंने देशभर में जातीय गणना क्यों नहीं करवाया? और वर्तमान में भी कई राज्यों में कांग्रेस पार्टी की सरकार है तो राहुल गांधी अपने मुख्यमंत्री पर जातीय गणना करवाने का दबाव क्यों नहीं बनाते हैं? असल में उनकी दिलचस्पी केवल भाषणबाजी में है। उन्हें ना तो जातीय गणना के विषय में कोई जानकारी है और ना ही उन्हें सामाजिक न्याय की बुनियादी समझ है।