छपरा में फर्जी डॉक्टर ने ले ली महिला की जान, डिलीवरी के बाद मौत, अस्पताल में तोड़फोड़

छपरा। बिहार के सारण जिले के छपरा में एक बेहद दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है। एक फर्जी डॉक्टर की लापरवाही के कारण एक महिला की जान चली गई, जिससे इलाके में आक्रोश फैल गया। मृतक महिला के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए जिलाधिकारी से शिकायत की है।
डिलीवरी के लिए अस्पताल में भर्ती हुई थी महिला
छपरा जिले के सिमरिया गांव की रहने वाली 30 वर्षीय सीता देवी को डिलीवरी के लिए 26 फरवरी को सहयोग अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिवार को उम्मीद थी कि यहां उनका सही इलाज होगा और वे सुरक्षित रूप से अपने बच्चे को जन्म देंगी। लेकिन उनकी यह उम्मीद जल्द ही निराशा में बदल गई।
फर्जी डॉक्टर ने किया ऑपरेशन
अस्पताल में मौजूद डॉक्टर राकेश कुमार ने सीता देवी का ऑपरेशन किया। परिजनों को उस समय इस बात की जानकारी नहीं थी कि यह डॉक्टर असल में फर्जी है और उसके पास कोई वैध मेडिकल डिग्री नहीं है। ऑपरेशन के बाद सीता देवी की तबीयत बिगड़ती चली गई। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि ऑपरेशन के बाद अगले 20 दिनों तक वह होश में नहीं आईं।
इलाज के नाम पर होता रहा भटकाव
जब चार दिनों तक सहयोग अस्पताल में महिला की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ, तो डॉक्टरों ने उन्हें हाजीपुर के आदर्श अस्पताल रेफर कर दिया। वहां भी करीब नौ दिनों तक उनका इलाज चलता रहा, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। इसके बाद महिला को पटना के जेसीओ अस्पताल भेजा गया, जहां करीब छह से सात दिनों तक इलाज चला। लेकिन पैसे की कमी के चलते अस्पताल प्रशासन ने मरीज को बाहर निकाल दिया। अंततः परिवार ने उन्हें छपरा सदर अस्पताल में भर्ती कराया, जहां सोमवार की रात उनकी मौत हो गई।
20 लाख रुपये खर्च, फिर भी नहीं बची जान
परिजनों का कहना है कि उन्होंने अपनी सारी जमा पूंजी इलाज में लगा दी। कुल मिलाकर 20 लाख रुपये खर्च करने के बावजूद वे सीता देवी को बचा नहीं सके। उन्होंने अस्पताल प्रशासन और डॉक्टर पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है।
मौत के बाद परिजनों का गुस्सा फूटा
महिला की मौत के बाद परिजन बेहद आक्रोशित हो गए। वे शव को लेकर सहयोग अस्पताल पहुंचे और वहां जमकर हंगामा किया। गुस्साए लोगों ने अस्पताल में तोड़फोड़ भी की, जिससे अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। स्थिति को बिगड़ते देख अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी मौके से भाग निकले। करीब दो घंटे तक अस्पताल में हंगामा और तोड़फोड़ होती रही। इसके बाद स्थानीय प्रशासन को सूचना दी गई और पुलिस मौके पर पहुंची।
जिलाधिकारी से शिकायत
परिजनों ने इस मामले की शिकायत जिलाधिकारी से की है। उन्होंने अस्पताल प्रशासन और डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। पीड़ित परिवार का कहना है कि ऐसे फर्जी डॉक्टरों की वजह से न जाने कितनी जिंदगियां खतरे में पड़ रही हैं, इसलिए प्रशासन को जल्द से जल्द इस पर कार्रवाई करनी चाहिए।
फर्जी डॉक्टरों का बढ़ता खतरा
बिहार के कई जिलों में फर्जी डॉक्टरों द्वारा इलाज किए जाने की घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं। बिना किसी मेडिकल डिग्री और अनुभव के ऐसे लोग सिर्फ पैसे के लालच में मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। छपरा की इस घटना ने एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि सही समय पर महिला को उचित इलाज मिलता और किसी योग्य डॉक्टर के हाथों ऑपरेशन होता, तो शायद उसकी जान बचाई जा सकती थी।
पुलिस कर रही जांच
इस मामले में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन की लापरवाही किस हद तक थी। फिलहाल, मृतक के परिवार को न्याय दिलाने की मांग जोर पकड़ रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और क्या फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं या नहीं।

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