November 16, 2024

एनएमसीएच मे भर्ती मरीज की निकाली गई आंख, परिजनों का जमकर हंगामा, पुलिस ने शुरू की जांच

पटना। बिहार के पटना स्थित नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एनएमसीएच) में एक गंभीर घटना सामने आई है, जहां इलाज के लिए भर्ती एक मरीज की मौत के बाद उसकी एक आंख गायब पाई गई। इस घटना से आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया। मामला आलमगंज थाने में दर्ज कर लिया गया है, और पुलिस पूरे प्रकरण की जांच में जुटी हुई है। नालंदा जिले के हुड़ारी गांव निवासी 22 वर्षीय फंटूश कुमार को 14 नवंबर को एनएमसीएच में भर्ती कराया गया था। जानकारी के अनुसार, आपसी रंजिश में उसे पेट में गोली मारी गई थी। स्थानीय अस्पताल में प्रारंभिक उपचार के बाद उसे एनएमसीएच रेफर किया गया। 15 नवंबर को फंटूश का ऑपरेशन किया गया और उसे आईसीयू में भर्ती किया गया। इलाज के दौरान 18 नवंबर की सुबह उसकी मौत हो गई। जब परिजन शव देखने पहुंचे तो उन्होंने पाया कि फंटूश की बायीं आंख गायब थी। अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विनोद सिंह ने बताया कि फंटूश के पेट में गोली लगी थी और 15 नवंबर को उसका ऑपरेशन किया गया था। ऑपरेशन के बाद उसे आईसीयू में रखा गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। परिजनों द्वारा आंख गायब होने के आरोप पर उन्होंने कहा कि घटना की जांच की जा रही है। जब उनसे पूछा गया कि क्या आंख को चूहा कुतर सकता है, तो उन्होंने कहा कि ऐसा संभव है। हालांकि, उन्होंने इस मामले में स्पष्ट जवाब देने से बचते हुए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने का इंतजार करने की बात कही। फंटूश के परिजनों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण यह घटना हुई है। परिजनों ने शव देखने के बाद तत्काल विरोध जताया और अस्पताल परिसर में हंगामा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि मरीज की मौत के बाद उसकी लाश के साथ अमानवीय व्यवहार हुआ, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। परिजनों का कहना है कि फंटूश को गोली लगने के बाद भी वे लगातार उसकी देखभाल कर रहे थे। लेकिन आईसीयू में रखे जाने के दौरान अस्पताल प्रशासन ने उसकी देखभाल में घोर लापरवाही बरती, जिसका नतीजा यह घटना है। घटना की जानकारी मिलने के बाद आलमगंज थाने की पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने मामले की प्राथमिकी दर्ज कर ली है और पूरे मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। पटना के सिटी एसपी ने बताया कि परिजनों के आरोपों को गंभीरता से लिया गया है। फिलहाल पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार है, जिसके बाद मामले में स्पष्टता आएगी। इस घटना ने अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आईसीयू जैसे संवेदनशील स्थान पर ऐसी घटना होना यह दर्शाता है कि मरीजों की सुरक्षा और देखभाल को लेकर व्यवस्थाएं कितनी कमजोर हैं। इससे पहले भी कई बार बिहार के सरकारी अस्पतालों में लापरवाही के मामले सामने आ चुके हैं। मरीजों की जान और सम्मान से जुड़ी इस घटना ने एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को उजागर कर दिया है। फंटूश कुमार की मौत और उसके बाद आंख गायब होने की घटना एक दर्दनाक और चिंताजनक मामला है। परिजनों के आक्रोश और आरोपों के बीच अस्पताल प्रशासन और पुलिस के लिए यह जरूरी है कि मामले की सच्चाई को सामने लाया जाए। सरकारी अस्पतालों में लापरवाही की यह घटना केवल एक व्यक्ति की नहीं है, बल्कि यह पूरे स्वास्थ्य तंत्र की विफलता को उजागर करती है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और जांच के बाद ही इस मामले में सटीक जानकारी मिल सकेगी, लेकिन यह घटना लोगों को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर सवाल उठाने को मजबूर करती है।

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