शिक्षा विभाग में अघोषित इमरजेंसी, शिक्षकों को बोलने-बयान देने या संगठन बनाने पर रोक पर बोले सुशील मोदी

पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश पर कटाक्ष किया है। उन्होंने आगे कहा की सीएम के इशारे पर शिक्षा विभाग में आपातकाल-जैसी स्थिति पैदा कर धर्मनिरपेक्षता व शिक्षकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। मोदी ने आगे कहा की माहौल ऐसा है कि BPSC से चयनित 32 हजार योग्य शिक्षक किसी स्कूल में योगदान करने को तैयार नहीं हैं। सुशील मोदी ने कहा कि पहले धर्म व भाषा के आधार पर बड़ा भेदभाव करते हुए स्कूली छात्रों-शिक्षकों के लिए छुट्टियों के अलग-अलग कैलेंडर जारी किये गए और फिर एक साथ 4 कड़े आदेश जारी कर शिक्षकों के कुछ बोलने-बयान देने या संगठन बनाने पर भी रोक लगा दी गई। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा विभाग में अघोषित इमरजेंसी है और नीतीश सरकार “अनुशासन पर्व” मना रही है, इसलिए उसके किसी भी आदेश का उल्लंघन करने पर शिक्षकों का वेतन रोका जा सकता है। BPSC का विरोध करने पर 7 लोगों को कड़ी चेतावनी दी गई है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग अपनी सीमा का अतिक्रमण कर विश्वविद्यालय शिक्षकों पर भी स्कूल-जैसी कार्य संस्कृति थोपना चाहता है, इसलिए प्रतिदिन 5 क्लास न लेने पर वेतन और पेंशन रोकने का आदेश दिया गया है। विश्वविद्यालय शिक्षकों के संगठन ” फूटा ” ने ऐसे आदेश वापस न लेने पर आंदोलन की बात कही है। उन्होंने आगे कहा कि सामान्य स्कूलों के लिए 2023 के शैक्षणिक कैलेंडर में रक्षाबंधन, अनंत चतुर्दशी, जिउतिया व तीज की छुट्टियाँ हैं, जबकि अगले साल ये छुट्टियाँ नहीं मिलेंगी और दुर्गापूजा-दीवाली-छठ जैसे बड़े हिंदू त्योहारों की छुट्टियाँ भी काफी कम रहेंगी। मोदी ने कहा कि सरकार को छुट्टियों में भेदभाव-पूर्ण कटौती वापस लेनी होगी।

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