17 दिसंबर से प्रदेश में लागू होगी ई-रजिस्ट्री, जमीन ऑनलाइन होगी खरीद बिक्री की प्रक्रिया
- कागजात और बायोमेट्रिक का होगा सत्यापन, फर्जी खरीद बिक्री पर रोक, ऑनलाइन होगी कई प्रक्रियाएं
पटना। बिहार में जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया को डिजिटल बनाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने 17 दिसंबर से सभी जिला निबंधन कार्यालयों में ई-रजिस्ट्री सिस्टम लागू करने की घोषणा की है। यह नई व्यवस्था जमीन की खरीद-बिक्री की प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
ई-रजिस्ट्री: प्रक्रिया और फायदे
ई-रजिस्ट्री सिस्टम के तहत जमीन की रजिस्ट्री से जुड़े सभी कार्य ऑनलाइन किए जाएंगे। इसके लिए आवेदक को निबंधन कार्यालय जाने की जरूरत नहीं होगी। अब कोई भी व्यक्ति घर बैठे अपनी जमीन की रजिस्ट्री करा सकता है। इसके लिए उसे ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के बाद जमीन का सत्यापन किया जाएगा और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने होंगे। इस प्रक्रिया में आवेदक, विक्रेता और गवाहों का बायोमेट्रिक सत्यापन भी शामिल होगा। अंतिम चरण में जिला अवर निबंधक द्वारा दस्तावेजों का सत्यापन किया जाएगा। सभी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद जमीन की रजिस्ट्री हो जाएगी। ई-रजिस्ट्री सिस्टम से न केवल प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी बल्कि समय की भी बचत होगी। इसमें जाली दस्तावेजों पर रोक लगाई जाएगी और भ्रष्टाचार की संभावना कम होगी। अब आवेदकों को दलालों और बिचौलियों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। मुजफ्फरपुर के अवर निबंधन कार्यालय पारू, मोतीपुर, कटरा और सकरा में ई-रजिस्ट्री सिस्टम पहले से ही लागू है। इन इलाकों में यह प्रणाली सफलतापूर्वक काम कर रही है। इसके आधार पर अब पूरे राज्य में इस प्रणाली को लागू किया जा रहा है।
ई-रजिस्ट्री सिस्टम के लाभ
ई-रजिस्ट्री सिस्टम से रजिस्ट्री प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी। जाली दस्तावेजों और अवैध गतिविधियों पर रोक लगेगी। पहले जहां आवेदकों को रजिस्ट्री प्रक्रिया के लिए बार-बार कार्यालय जाना पड़ता था, अब यह सब ऑनलाइन हो जाएगा। इससे न केवल समय बचेगा, बल्कि अतिरिक्त खर्चे भी कम होंगे। दलालों और बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाने से भ्रष्टाचार में कमी आएगी। खासकर ग्रामीण इलाकों के किसानों को इस प्रणाली का सबसे ज्यादा फायदा होगा। अब उन्हें रजिस्ट्री कराने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। पारदर्शिता और सुलभ प्रक्रिया से राज्य में निवेश बढ़ेगा। इससे आर्थिक विकास और लोगों का जीवन स्तर बेहतर होगा।
ई-रजिस्ट्री की प्रक्रिया
सबसे पहले आवेदक को अपनी जमीन की रजिस्ट्री के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के बाद जमीन की जांच और सत्यापन किया जाएगा। सत्यापन के बाद आवेदक को स्टांप शुल्क और निबंधन शुल्क का भुगतान करना होगा। आवेदक को सभी आवश्यक दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड करने होंगे। आवेदक, विक्रेता और गवाहों का बायोमेट्रिक सत्यापन किया जाएगा। जिला अवर निबंधक द्वारा सभी दस्तावेजों की जांच और सत्यापन के बाद रजिस्ट्री पूरी होगी।
बिहार सरकार की पहल
बिहार सरकार का मानना है कि यह कदम राज्य में भ्रष्टाचार को खत्म करने और रजिस्ट्री प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए एक बड़ा प्रयास है। इस डिजिटल प्रणाली के जरिए राज्य में आर्थिक सुधार के साथ-साथ निवेश के लिए भी अनुकूल माहौल तैयार किया जाएगा। ई-रजिस्ट्री सिस्टम न केवल बिहार की रजिस्ट्री प्रक्रिया को आधुनिक और पारदर्शी बनाएगा, बल्कि इससे आम लोगों का जीवन भी आसान होगा। सरकार के इस फैसले से न केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी, बल्कि राज्य के विकास को भी नई गति मिलेगी। जमीन से जुड़े विवादों और जाली दस्तावेजों की समस्या पर नियंत्रण पाने के लिए यह प्रणाली बेहद कारगर साबित होगी।