राज्य में भीषण गर्मी से बढ़ा बच्चों पर लू का खतरा, अब प्राइवेट स्कूलों में भी होगा टाइमिंग में बदलाव
पटना। राज्य में प्रचंड गर्मी के कारण लाखों बच्चों पर लू का खतरा मंडरा रहा है। दोपहर में हो रही छुट्टी के बाद घंटों स्कूल बसों में तप रहे बच्चे बीमार हो रहे हैं। वही जिसके बाद अब स्कूलों में समय बदलने की तैयारी है। राज्य के लगभग 25 हजार से अधिक स्कूलों ने स्कूल की टाइमिंग बदलने की तैयारी कर ली है। अब लू शुरु होने से पहले बच्चों को स्कूल से घर भेज देने की प्लानिंग है। राज्य के अधिकांश जिलों में पारा 40 के पार हो गया है। गर्मी से हाल बेहाल हो रहे लोगों में सबसे परेशानी बच्चों को हो रही है। दोपहर में स्कूलों की छुट्टी होने के बाद उन्हें घंटों बसों में परेशान होना पड़ता है। शहर में जाम के बीच स्कूल से घर के बीच का सफर तय करने में बच्चे लू का शिकार हो रहे हैं। सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों की ओपीडी में अचानक से बढ़ी बच्चों की संख्या यह बताती हैं कि वह स्कूल आने जाने के दौरान धूप का शिकार हो रहे हैं।
लगातार बढ़ रही गर्मी और लू को देखते हुए प्राइवेट स्कूलों ने टाइमिंग बदलने की योजना पर काम करना शुरु कर दिया है। सुबह साढ़े 6 से लेकर दिन में साढ़े 11 बजे तक की टाइमिंग को लेकर सहमति बन गई है। प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद का कहना है कि एसोसिएशन से जुड़े बिहार के सभी 25 हजार प्राइवेट स्कूल के संचालकों से आग्रह किया गया है कि वह स्कूलों के समय में बदलाव कर बच्चों को हो रही परेशानी से बचाएं। उनका कहना है कि समय से पूर्व भीषण गर्मी को देखते हुए निजी विद्यालय के संचालन के समय में बदलाव किया जाना आवश्यक है। प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन ने 25 हजार स्कूलों से आग्रह करते हुए कहा है कि सुबह से स्कूल चलाया जाए जिससे बच्चों को लू शुरु होने से पहले घर भेजा जा सके।
इसके लिए प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन ने स्कूलों को सुबह साढ़े 6 बजे से स्कूल खोलने और साढ़े 11 बजे तक बंद करने का सुझाव दिया है। इससे छात्रों को कड़ी धूप एवं गर्मी के कारण किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। वही सैयद शमायल अहमद ने कहा है कि पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना अति आवश्यक है। जो समय सुझाय गया है यह बच्चों के पठन-पाठन के लिए अच्छा है। ठंडे वातावरण में बच्चे कुशलतापूर्वक अपनी शिक्षा प्राप्त कर अपने-अपने घरों को वापस हो जाएंगे, जिससे उन्हें किसी प्रकार की स्वास्थ्य हानि भी नहीं होगी और स्कूलों का नुकसान भी नहीं होगा।