कैमूर में शराबी युवक ने की आत्महत्या, घरेलू विवाद से तंग आकर दी जान
कैमूर। बिहार के कैमूर जिले में एक और दर्दनाक घटना सामने आई है, जिसमें घरेलू विवाद और शराब के नशे ने एक युवक की जान ले ली। भगवानपुर थाना क्षेत्र के मानिकपुर गांव में एक युवक, छोटू बिंद उर्फ सिपाही बिंद, ने घरेलू तनाव और शराब की लत से परेशान होकर अपने ही घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर मामले की शुरुआती जांच की और शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भभुआ भेज दिया गया। इस घटना ने गांव में शोक की लहर दौड़ा दी है और यह घटना परिवारजनों के लिए एक बड़ा झटका बन गई है। घटनास्थल पर मौजूद लोगों और मृतक के पिता बिगाऊ बिंद ने बताया कि छोटू काफी समय से नशे की गिरफ्त में था। शराब की लत के चलते वह कई बार परिवारजनों के साथ विवाद में उलझता रहता था। बिगाऊ बिंद ने दुख प्रकट करते हुए कहा कि उनका बेटा नशे में धुत्त होकर आए दिन परिवार के साथ झगड़ा करता था। तनाव की यही स्थिति उसे आत्महत्या की ओर ले गई। यह घटना केवल एक परिवार का निजी मामला नहीं बल्कि समाज में बढ़ते नशे के दुष्प्रभावों को उजागर करती है, जो न केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य पर असर डालती है बल्कि पारिवारिक संबंधों को भी बिगाड़ देती है। भगवानपुर पुलिस को जैसे ही सूचना मिली, उन्होंने मौके पर पहुंचकर मामले की गंभीरता को समझा। परिजन, जो इस त्रासदी से गहरे सदमे में थे, प्रारंभ में शव का पोस्टमार्टम नहीं कराना चाहते थे। हालांकि, पुलिस ने कानूनी प्रक्रिया को समझाते हुए परिजनों को सहमत किया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। पुलिस इस मामले में तहकीकात कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आत्महत्या के पीछे कोई अन्य कारण तो नहीं था। इस घटना से एक बार फिर से नशे की गंभीर समस्या उजागर होती है, जो खासकर युवाओं में तेजी से बढ़ रही है। शराब और अन्य मादक पदार्थों का सेवन व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर बनाता है और उसकी सोचने-समझने की शक्ति को कम करता है। नशे की स्थिति में व्यक्ति अपने निर्णयों पर उचित नियंत्रण नहीं रख पाता है, जो उसे अप्रत्याशित और दुखद कदम उठाने की ओर धकेल सकता है। यह घटना बताती है कि नशे की लत किस हद तक परिवार को बर्बाद कर सकती है और किसी व्यक्ति को आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर कर सकती है। इस घटना ने पूरे कैमूर जिले में एक बार फिर से नशे के खिलाफ जागरूकता की जरूरत को रेखांकित किया है। नशा मुक्ति अभियान के तहत न केवल सरकार बल्कि समाज के हर वर्ग को आगे आना चाहिए। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को भी नशा मुक्ति केंद्रों की स्थापना और नशा मुक्त समाज के निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए। घरेलू विवाद और नशे के कारण आत्महत्या जैसी घटनाएं समाज के लिए चिंता का विषय हैं। इसे रोकने के लिए समाज के लोगों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे ऐसे व्यक्तियों को समझाएं और सहायता करें जो नशे की गिरफ्त में हैं। इसके लिए समाज में नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाने, काउंसलिंग और नशा मुक्ति केंद्रों की स्थापना जैसे कदम आवश्यक हैं। छोटू बिंद की आत्महत्या के बाद परिवार गहरे शोक में है। एक युवक की जिंदगी नशे और घरेलू विवाद की वजह से खत्म हो जाना न केवल एक दुखद घटना है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक चेतावनी भी है कि अगर नशे की समस्या को अनदेखा किया गया तो इसका असर परिवार और समाज दोनों पर पड़ेगा। इस घटना से यह सीख मिलती है कि समय रहते परिवार और समाज को युवाओं की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए, ताकि इस प्रकार की दुखद घटनाओं को रोका जा सके। यह घटना एक गंभीर समस्या को उजागर करती है, जिसमें घरेलू विवाद और नशे की लत के कारण एक युवक को अपनी जान गंवानी पड़ी। समाज और सरकार को मिलकर इस समस्या को जड़ से समाप्त करने की दिशा में काम करना चाहिए।