पटना में पानी किल्लत से सूखे चापाकल : ग्रामीणों में मचा हाहाकार, पीने को पानी को लेकर ग्रामीणों का फूटा आक्रोश
पटना। कुदरत की कहर और मौसम की बेरुखी ने किसानो और आम ग्रामीणों के लिए आफत बन रही है अबतक मानसून की दगाबाजी से अबतक पर्याप्त बारिश नही होने से किसानो को खेती होनी तो दूर की बात है आमलोगों को पीने के लिए पार्याप्त पानी भी नहीं नसीब हो रहे,गाँवो की हैंडपंप (चापाकल) भी आधे अधिक सुख चुके है, और कुछ बचे खुचे सुखने की कगार पर है। लगातार प्राकृतिक को दोहन से भूमिगत जलस्तर लगातार नाचे चली जा रही है। साल दर साल पानी की किल्लत बढ़ती जा रही है। हाय हाय रे ये सावन की दुरी, मौसन न कैसी कर दी मजबूरी। वही दूसरी ओर बिहार सरकार की अतिमहत्वाकांक्षी योजना सात निश्चय योजना की नल-जल भी आधे से अधिक फेल हो चुके जिसके चलते पानी के लिए मचा हाहाकार है। जलनल की आधे पमसेट चालू और आधे बन्द पड़ी है।अगर कुछ दिन और इसी तरह से मौसम की बेरुखी बरकरार रही तो सूखे की भयानक स्थिति उत्पन्न हो जायेगी। जिसके चलते भयावह स्थिति हो उत्पन्न सकती है। ग्रामीणों को नही मिल रहा है पीने के लिए पानी। जी हां पानी के लिए पटना जिले के पालीगंज अनुमण्डल मुखालय प्रखण्ड के रघुनाथपुर गाँव के साथ साथ पतौना,मदारीपुर, जरखा, सिद्धिपूर् मेरा,, खनपुरा, दहिया बहादुरगंज, रानीपुर,दरियापुर,समेत दर्जनों से अधिक या यू कहे की लगभग सभी गाँवो की कमोबेस एक ही जैसी स्थिति बनी हुई है। वही पीने की पानी की किल्लत झेल रहे रघुनाथपुर गाँव के ग्रामीणों ने पानी नहीं मिलने से आक्रोशित होकर वार्ड सदस्य और सरकार के विरुद्ध जमकर प्रदर्शन करने को मजबूर हो गए। हैंडपंप सूखे होने से उसमें लोग बकरी बाँध रहे है। आक्रोशित ग्रामीणों ने हाथों बाल्टी, तस्ला लेकर जमकर प्रदर्शन किया।
गाँव के सभी चापाकल सुख चुके होने से पानी पीने को भी नही मिल रहा है जबकि दूसरी तरफ कुछ लोग बोरिंग चला कर खेत की पटवन कर रहे है ,जिसके कारण चापकल जो थोड़ा बहुत चल रहा रहा था वो भी बन्द हो जा रहा है रघुनाथपुर गाँव के ग्रामीणों ने पमसेट बोरिंग को बन्द करने की माँग लिखित रूप से अनुमण्डल प्रशाशन से किया है। ताकि चापकल से पानी चल सके ,ग्रामीणों का कहना है की पहले जीवन बचाने की आवश्यकता है ,जल ही जीवन,मवेसियो और आदमी को पीने के लिए की पहले जरूरत है। आक्रोशित ग्रामीणों का कहना है की एक तरफ पीने को पानी नहीं मिल रहा है तो दूसरी ओर कुछ लोग बोरिंग चला कर पानी को बेवजह बर्बाद कर रहे, खेती तो बाद मे भी हो जायेगी।इसलिए सभी पंपसेटो को तत्काल बन्द करने की माँग हमलोग अनुमण्डल प्रशासन और सरकार से करते है। वही अबतक की जो मानसून की बेरुखी से हालात उत्पन्न हो चुकी है, वर्षा की पानी पर्याप्त नहीं होने से लगातार भूजल की स्तर नीचे चली जा रही है उपर बचा खुचा काम भूमिगत जलस्तर की बोरिंग से लगातार हो रही दोहन ने पूरा कर रहा है। जिसपर तत्काल जिला प्रशासन को रोक लगाने की आवश्यकता है, सभी गाँवो की पमसेट को बंद कर दिया जाए ताकि हैंडपम कुछ चल सके। वही किसानो की धान की पिचडे को बचा भी एक चुनौती है क्योंकि पानी नहीं होने धान की रोपनी भी होनी मुश्किल हो रही,मानसून की बेरुखी से किसानो चेहरे मुरझाए हुए है।