शिवसेना और बीजेपी में गृह विभाग को लेकर तकरार, मांग पर अड़े शिंदे, खींचतान जारी
- 11 से 16 दिसंबर तक मंत्रिमंडल विस्तार, गृह विभाग पर सस्पेंस, आक्रामक हुआ शिंदे गुट
मुंबई। महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है। शिवसेना (शिंदे गुट) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच गृह विभाग के आवंटन को लेकर टकराव बढ़ गया है। शिवसेना नेता और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गृह मंत्रालय की मांग पर अपना रुख सख्त कर लिया है। वहीं, भाजपा इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है, जिससे तनाव और गहरा गया है।
गृह विभाग की मांग पर अड़े शिंदे
शिवसेना विधायक भारत गोगावले ने हाल ही में बयान दिया कि एकनाथ शिंदे ने गृह विभाग की मांग की है और विभागों के बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि शिंदे ने यह मांग सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से की हो सकती है। गोगावले के अनुसार, पूर्व महायुति सरकार में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास गृह विभाग था। अब शिंदे गुट चाहता है कि यह महत्वपूर्ण मंत्रालय शिवसेना को मिले। उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार 11 से 16 दिसंबर के बीच हो सकता है, ताकि शीतकालीन सत्र (16 दिसंबर से नागपुर में) से पहले विभागों का बंटवारा हो सके।
शिवसेना और बीजेपी के बीच बढ़ती खींचतान
मंत्रालयों के बंटवारे पर जारी इस रस्साकशी ने दोनों दलों के बीच तल्खी को उजागर कर दिया है। महाराष्ट्र की राजनीति में गृह विभाग को बेहद प्रभावशाली और शक्तिशाली माना जाता है। इस विभाग का जिम्मा कानून व्यवस्था, पुलिस प्रशासन और अन्य संवेदनशील विषयों को संभालने का होता है। शिवसेना का तर्क है कि वह महायुति सरकार का अहम हिस्सा है और उसे गृह विभाग जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय का नेतृत्व करने का अवसर मिलना चाहिए। वहीं, भाजपा का मानना है कि यह मंत्रालय राज्य सरकार के कार्यों की धुरी है और इसे ऐसे दल को सौंपना उचित नहीं होगा जो सरकार में छोटी भूमिका निभा रहा हो।
विधानमंडल सत्र से पहले मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी
गोगावले ने संकेत दिया है कि विभागों के आवंटन पर बातचीत अगले दो दिनों में पूरी हो सकती है। उनका दावा है कि महायुति गठबंधन के शीर्ष नेतृत्व द्वारा एक संतुलित समाधान निकाला जाएगा। हालांकि, पिछले अनुभवों को देखते हुए, यह प्रक्रिया आसान नहीं लगती। इससे पहले भी मुख्यमंत्री पद को लेकर शिंदे और फडणवीस के बीच खींचतान देखी गई थी। शिंदे ने उपमुख्यमंत्री पद स्वीकारने में काफी समय लिया था और यह केवल शपथ ग्रहण समारोह के बाद ही स्पष्ट हो पाया कि वे फडणवीस के साथ टीम के रूप में काम करने के लिए तैयार हैं।
महायुति गठबंधन में विभागों का समीकरण
महायुति गठबंधन (बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी) ने पिछले विधानसभा चुनाव में 288 सदस्यीय विधानसभा में 230 सीटें जीती थीं। चुनावी जीत के बाद मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर यह पहला बड़ा विवाद सामने आया है। शिवसेना का कहना है कि पिछली महायुति सरकार में जो विभाग उनके पास थे, उन्हें अब बदलने की कोशिश की जा रही है। यह स्थिति शिवसेना के लिए अस्वीकार्य है, क्योंकि वह गठबंधन सरकार में अपनी ताकत को कम होते हुए नहीं देखना चाहती।
सियासी विश्लेषण और आगे की राह
महाराष्ट्र में गृह विभाग पर जारी खींचतान केवल सत्ता के लिए संघर्ष नहीं, बल्कि राजनीतिक संतुलन बनाए रखने का प्रयास है। भाजपा और शिवसेना के बीच यह विवाद गठबंधन की स्थिरता पर भी सवाल खड़ा कर रहा है। अगर भाजपा गृह विभाग अपने पास रखती है, तो शिवसेना इसे अपनी उपेक्षा मान सकती है। वहीं, अगर यह विभाग शिवसेना को सौंपा जाता है, तो भाजपा के कुछ नेता असंतोष जाहिर कर सकते हैं। महायुति गठबंधन के लिए यह जरूरी है कि मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर किसी नतीजे पर जल्द पहुंचा जाए, ताकि सरकार में सामंजस्य बना रहे और सत्र के दौरान विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। महाराष्ट्र की राजनीति में एकनाथ शिंदे की गृह विभाग की मांग ने महायुति सरकार के भीतर टकराव को उजागर कर दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा और शिवसेना के बीच यह विवाद कैसे सुलझता है। गृह विभाग का आवंटन केवल सत्ता संतुलन का विषय नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि सरकार में किसकी पकड़ मजबूत है। अगले कुछ दिनों में विभागों के बंटवारे पर कोई फैसला होता है या यह विवाद और गहराता है, इस पर महाराष्ट्र की राजनीति का भविष्य निर्भर करेगा।