पूर्णिया में नवविवाहिता संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, परिजनों ने ससुरालवालों पर लगाया दहेज हत्या का आरोप

पूर्णिया। बिहार के पूर्णिया जिले के मरंगा थाना क्षेत्र के सतकुदरिया गांव में 18 वर्षीय नवविवाहिता आरती कुमारी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। आरती की मौत की खबर पड़ोसियों के माध्यम से उसके मायके वालों को मिली। मृतका के मायके वालों ने इसे दहेज हत्या का मामला बताते हुए आरती के पति गौतम और उसकी मां शालू देवी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पुलिस मामले की जांच में जुटी है। आरती की शादी तीन महीने पहले ही धूमधाम से गौतम के साथ हुई थी। आरती के चाचा मिथिलेश ने आरोप लगाया कि शादी के बाद से ही गौतम और उसकी मां शालू देवी आरती पर एक कट्ठा जमीन लेने का दबाव डालने लगे थे। जब आरती के पिता ने इस मांग को पूरा नहीं किया, तो गौतम ने आरती के साथ मारपीट शुरू कर दी। मिथिलेश ने आरोप लगाया कि गौतम और शालू देवी ने मिलकर आरती की हत्या की है। उन्होंने इस संबंध में स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई है। पुलिस ने गौतम को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। दूसरी ओर, गौतम की मां शालू देवी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बेटा और बहू के बीच अक्सर किसी न किसी बात को लेकर विवाद होता रहता था। घटना के समय शालू देवी घर के बाहर काम कर रही थीं। उनके अनुसार, आरती ने घर का दरवाजा बंद कर खुदकुशी कर ली। शालू देवी का कहना है कि उनके पास मोबाइल नहीं था, इसलिए आरती के मायके वालों को समय पर सूचना नहीं दे पाई। आरती की मौत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि दहेज प्रथा के कारण महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। शादी के बाद से ही आरती को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था, जो अंततः उसकी मौत का कारण बना। आरती के परिजन न्याय की मांग कर रहे हैं और दोषियों को सजा दिलाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। पुलिस मामले की गंभीरता को देखते हुए हर पहलू की जांच कर रही है। आरती की मौत ने समाज में व्याप्त दहेज प्रथा और इसके कारण हो रहे अत्याचारों को उजागर किया है। इस घटना ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर कब तक महिलाएं इस तरह के उत्पीड़न का शिकार होती रहेंगी। आरती के परिजनों के अनुसार, वे तब तक शांत नहीं बैठेंगे जब तक उनकी बेटी को न्याय नहीं मिल जाता। दहेज हत्या के इस मामले ने एक बार फिर समाज में महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसी घटनाओं से न केवल पीड़ित परिवार को गहरा आघात पहुंचता है, बल्कि समाज की मानसिकता पर भी प्रश्नचिह्न लगता है। आरती के परिजनों ने पुलिस और न्यायपालिका से अपील की है कि वे इस मामले में त्वरित और निष्पक्ष जांच कर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाएं ताकि भविष्य में कोई और बेटी इस तरह की यातना का शिकार न हो।
