मुजफ्फरपुर में गिरफ्तार चीनी नागरिक की मौत, जेल में की थी आत्महत्या की कोशिश

मुजफ्फरपुर। मंगलवार सुबह एसकेएमसीएच के वार्ड-6 में इलाज के दौरान चीनी नागरिक ली जियाकी की मौत हो गई। उसे फॉरेन एक्ट के तहत जेल भेजा गया था और उसने कारा के शौचालय में आत्महत्या की कोशिश की थी। आत्महत्या के प्रयास में उसने अपने चश्मे के शीशे को तोड़कर अपने गला, पेट और प्राइवेट पार्ट को काट लिया था। इलाज के दौरान उसकी बॉडी पर गहरे जख्म के निशान पाए गए थे। उसकी स्थिति गंभीर थी और पुलिस की कस्टडी में उसका इलाज चल रहा था। ब्रह्मापुर पुलिस ने लक्ष्मी चौक के पास ली जियाकी को गिरफ्तार किया था। जांच में पाया गया कि उसके पास वीजा नहीं था और वह अवैध रूप से नेपाल से भारत आया था। पूछताछ के बाद उसे न्यायालय में पेश किया गया और जेल भेज दिया गया। जब उसके बैग की तलाशी ली गई, तो पासपोर्ट, मोबाइल, आईकार्ड, चाइनीज नोट, नेपाली और भारतीय रुपए और चीन का मैप बरामद हुआ। जेल में रहते हुए ली जियाकी ने आत्महत्या का प्रयास किया। उसने अपने चश्मे के शीशे को तोड़कर अपने गला, पेट और प्राइवेट पार्ट को काट लिया। उसके गंभीर जख्मों को देखते हुए उसे एसकेएमसीएच में भर्ती कराया गया, जहां पुलिस की कस्टडी में उसका इलाज चल रहा था। डॉक्टरों ने उसके जख्मों को गंभीर बताया और उसे बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह जीवित नहीं रह सका। घटना के बारे में जब ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों से जानकारी मांगी गई, तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। जेल अधीक्षक से भी संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। इस घटना ने जेल प्रशासन और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ली जियाकी की मौत ने एक बार फिर से जेलों में सुरक्षा और निगरानी की स्थितियों को उजागर किया है। एक विदेशी नागरिक होने के नाते, उसकी मौत और आत्महत्या के प्रयास ने प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा किया है। मामले की जांच आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों और जेल में बंद कैदियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए। इस घटना के बाद, पुलिस और जेल प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं। यह महत्वपूर्ण है कि इस मामले की विस्तृत जांच की जाए और संबंधित अधिकारियों से जवाबदेही तय की जाए। इसके साथ ही, विदेशी नागरिकों के मामलों में अधिक सतर्कता और संवेदनशीलता बरतने की आवश्यकता है ताकि किसी भी प्रकार की लापरवाही से बचा जा सके। ली जियाकी की मौत ने एक बार फिर से जेलों में कैदियों की सुरक्षा और मानवाधिकारों की आवश्यकता को रेखांकित किया है। यह महत्वपूर्ण है कि इस घटना से सबक लेकर सुधारात्मक कदम उठाए जाएं।

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