बाल कलाकार अर्णव मिश्रा के तबले की धुन का हर कोई दीवाना
मोनु कुमार मिश्रा, बिहटा। दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा और हमेशा आगे बढ़ने की चाह, किसी भी व्यक्ति को बुलंदियों तक पहुंचा सकती है। उम्र चाहे छोटी हो या बड़ी, कभी भी मेहनत करने वाले के पैरों पर बेड़ियां नहीं लगा सकती है। कुछ ऐसी ही कहानी है अर्णव मिश्रा की है, कक्षा छः में पढ़ने वाला यह बच्चा अपने कला के माध्यम से हर किसी के दिलों को जीत रहा है। यह बच्चा पटना जिले के बिहटा नगर परिषद स्थित वार्ड नंबर 27 स्थित सहवाजपुर (पटेल हाल्ट)का रहने वाला है। वर्तमान में पटना स्थित एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई करता है।उसके बाद संगीत में तबला सीखता है। तबला एक बार जिसने भी सुन लिया इस छोटे बच्चे का दीवाना बन गया।अर्णव ने कहा कि मुझे बचपन से ही तबला सीखने का शौक था और मात्र 2 वर्षों में संगीत के गुरुजनों ने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया। जिसे सीखने की ललक मेरे दिलो दिमाग में थी। बिहटा थाना क्षेत्र अंतर्गत सहवाजपुर निवासी अर्नव ने कहा कि मेरा जब स्कूल में एडमिशन हुआ तभी से मेरा शौक था कि मैं तबला और संगीत सीख लूं। जब स्कूल और ट्यूशन से छुट्टी मिलती है तब मैं तबला और संगीत का रियाज़ करता हूं। मेरे तबला वादन को सुनकर हर कोई सराहना करता है। जो कहीं न कहीं मुझे और कुछ कर जाने के लिए प्रेरित करता है।
छोटे बच्चे के तबले की धुन का हर कोई दीवाना
जब यह छोटा बच्चा कैदा पलटा तीन ताल दादर कहरवा जैसे कोर्स को संपन्न कर तबला को अपना धुन देता है।तो हर कोई इस बच्चे का दीवाना बन जाता है। यह बच्चा जब तबला बजाता है तो खुद तबले के धुन में डूब जाता है। इसके बजाने का जो तरीका है वह काफी आकर्षक है. जो हर किसी को आकर्षित कर जाता हैं। संगीत अध्यापक संतोष कुमार बताते हैं कि इस बच्चे का जब एडमिशन कराया गया तो हर छात्रों से इस बच्चे का जो सीखने का शौक था वह कहीं न कहीं अलग था। आज भी यह बच्चा जब तबला सीखने बैठता है तो हर कुछ भूल कर इसमें डूब जाता है। हकीकत में इतने कम दिनों में यह बच्चा वह सब सीख लिया है जो हर किसी के लिए संभव नहीं होता है।आने वाले विगत वर्षो में एक अच्छे कलाकार के रूप में उभरेगा।