नवनिर्मित सभागार में मनाया गया भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना का 10वां दीक्षांत समारोह
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मोनु कुमार मिश्रा, बिहटा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना का 10वां दीक्षांत समारोह संस्थान के नवनिर्मित सभागार में मनाया गया। नवनिर्मित सभागार में यह पहला दीक्षांत समारोह था।समारोह की शुरुआत शैक्षणिक जुलूस के दीक्षांत स्थल में प्रवेश के साथ हुई, जिसके बाद राष्ट्रीय गीत के माध्यम से मंगलाचरण किया गया। तत्पश्चात बीओजी के अध्यक्ष डॉ. आनंद देशपांडे ने आईआईटी पटना के 10वें दीक्षांत समारोह के उद्घाटन की घोषणा की। मंच पर गणमान्य व्यक्तियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. एन. कलैसेल्वी, महानिदेशक, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) सह सचिव वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर), सम्मानित अतिथि आर. के. पाठक, सचिव प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड, नई दिल्ली, और डॉ. आनंद देशपांडे, अध्यक्ष बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, आईआईटी पटना एवं परसिस्टेंट सिस्टम्स के संस्थापक और अध्यक्ष, बोर्ड सदस्य तथा आईआईटी पटना के सीनेट के सदस्य उपस्थित थे।मुख्य अतिथि डॉ. एन. कलैसेल्वी ने अध्यक्ष डॉ. आनंद देशपांडे और सभी गणमान्य उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त करते हुए स्नातक छात्रों को हार्दिक बधाई दी। अकादमिक उत्कृष्टता और नवाचार के लिए आईआईटी पटना की वैश्विक मान्यता पर जोर देते हुए, उन्होंने ने न केवल तकनीकी उन्नति के लिए बल्कि शांति को बढ़ावा देने के लिए भी शिक्षा का उपयोग करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस वर्ष के लिए यूनेस्को की थीम ‘स्थायी शांति के लिए सीखना’ पर प्रकाश डाला, जो आंतरिक और बाहरी शांति दोनों की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। उन्होंने स्नातकों से मानवता के साथ विज्ञान को संतुलित करने, अपरंपरागत रास्तों को अपनाने और काम को पूर्ति के स्रोत के रूप में देखने का आग्रह किया। डॉ. एन. कलैसेल्वी के प्रभावशाली उद्बोधन ने स्नातकों को अपनी क्षमता को अधिकतम करने, अवसरों को गले लगाने और लगातार सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप भी है। आगे उन्होंने अपने सम्बोधन में सच्ची खुशी और सफलता प्राप्त करने के लिए ज्ञान, विनम्रता और उद्देश्य के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कामना की कि प्रत्येक युवा स्नातक 2047 में भारत को एक विकसित देश के रूप में देखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। वही इस मौके पर आईआईटी पटना के निदेशक प्रो टीएन सिंह ने सभी प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों, स्नातक छात्रों और उनके माता-पिता, अतिथि, इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट से मीडिया के सदस्यों, संस्थान के संकाय और कर्मचारियों का स्वागत किया। इसके बाद संस्थान की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि हाल ही में जारी एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग में, आईआईटी पटना 163 वें स्थान पर आ गया है। ” एनआईरएफ (शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार) द्वारा इंडिया रैंकिंग 2023″ में, IIT पटना देश के इंजीनियरिंग संस्थानों में 41वें और समग्र रैंकिंग के लिए 66वें स्थान पर है। उन्होंने मुख्य अतिथि डॉ. एन. कलैसेल्वी की शैक्षणिक उपलब्धियों के बारे में बताते हुए कहा कि भारत में ई-मोबिलिटी के क्षेत्र में इनका अहम योगदान रहा है। इसके बाद उन्होंने संस्थान में हो रहे विभिन्न शैक्षणिक, अनुसंधान, छात्र, बुनियादी ढांचे के विकास, स्टार्ट-अप, टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन हब (टीआईएच), आउटरीच, उद्योग-अकादमिक, प्लेसमेंट एवं इन्टर्नशिप, सतत शिक्षा कार्यक्रम और पूर्व छात्रों से संबंधित गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा की। आईआईटी पटना के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के माननीय अध्यक्ष डॉ. आनंद देशपांडे ने उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। उन्होंने स्नातकों को बधाई दी और समाज में उनके योगदान के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने महामारी के दौरान सीखे गए ‘जिम्मेदार जीवन’ के सबक और भारत के जी-20 विषय ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ या ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ पर प्रकाश डाला। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा साइंस में नए कार्यक्रमों सहित उद्यमिता और नवाचार पर आईआईटी पटना के फोकस पर चर्चा की। उन्होंने अकादमिक उत्कृष्टता और सामुदायिक पहुंच में संस्थान के प्रयासों की प्रशंसा की और माता-पिता और शुभचिंतकों को उनके समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। अध्यक्ष ने मुख्य अतिथि डॉ. एन. कलैसेल्वी का भी स्वागत किया, जिसमें विद्युत रासायनिक ऊर्जा प्रणालियों और ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियों में उनके विशिष्ट योगदान की सराहना की गई। माननीय सम्मानित अतिथि आर. के. पाठक ने उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। उन्होंने विशेष रूप से स्नातक छात्रों, अभिभावकों, प्रेस और मीडिया के लोगों का स्वागत किया। पाठक ने संस्थान की उपलब्धियों और निदेशक प्रो टीएन सिंह के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए स्नातकों को बधाई दी। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में आईआईटी पटना के योगदान पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने सामाजिक जरूरतों के साथ नवाचारों को संरेखित करने और छोटे संस्थानों को सलाह देने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने स्नातकों को चुनौतियों को गले लगाने, असफलताओं से सीखने और उत्कृष्टता के लिए प्रयास करते हुए अपनी जड़ों से जुड़े रहने के लिए प्रोत्साहित किया। नेल्सन मंडेला को उद्धृत करते हुए पाठक ने स्नातकों से आग्रह किया कि वे असफलताओं के बावजूद बने रहें और अपने क्षेत्रों में सार्थक योगदान दें। उन्होंने स्नातकों की सफलता की कामना की और उन्हें आईआईटी पटना में प्राप्त समर्थन और मार्गदर्शन को संजोने का स्मरण कराया। संस्थान के प्रभारी रजिस्ट्रार संजय कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया, जिसके बाद बीओजी के अध्यक्ष ने 10वें दीक्षांत समारोह के समापन की घोषणा की। तत्पश्चात राष्ट्रगान और अकादमिक जुलूस की वापसी हुई। लगभग 366 छात्रों ने व्यक्तिगत रूप से डिग्री प्राप्त की, इसके बाद बचे हुए डिग्री डाक द्वारा भेजा जाएगा। दीक्षांत समारोह के अवसर पर कई अभिभावक भी इस एतिहासिक क्षण के गवाह बने। उपाधि एवं पदक प्राप्त कर छात्र भवविहोर हो गये। जोश, उत्साह एवं उमंग से विद्यार्थियों के चेहरे चमक उठे। आईआईटी पटना का यह अबतक का सबसे बड़े बैच का दीक्षांत समारोह यादगार और शानदार रहा।
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