कांग्रेस शासनकाल के स्वास्थ्य सुविधाओं को भी नहीं बचा पाएं नीतीश : राजेश राठौड़
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पटना। बिहार की चरमराती स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं के अभाव ने आपदा काल में देशभर में बिहार की छवि को धूमिल किया है। यह कहना है बिहार प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ का। उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार 30 वर्ष पुरानी कांग्रेस शासनकाल में उपलब्ध स्वास्थ्य केंद्रों और सुविधाओं को ही संभाल के रख लेती तो अभी राज्य के ये हालात नहीं होते। राज्य में आबादी में हो रही बढ़ोत्तरी के अनुपात में स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या में बढ़ोत्तरी की जानी चाहिए थी, लेकिन राज्य की मौजूदा सरकार ने इसे रामभरोसे अपने सहयोगी भाजपा को सौंप रखा है।
उन्होंने कहा कि राज्य के ज्यादातर स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ताले लटक रहे हैं। कहीं-कहीं तो ये केंद्र पशु चारागाह और तबेलों के रूप में अपनी बदहाली का रोना रो रहे हैं। आगे कहा कि राज्य में दरभंगा मेडिकल कॉलेज को एम्स के तर्ज पर विकसित करने की घोषणा इनके ही सहयोगी केंद्र सरकार ने की थी लेकिन इन्होंने अब तक उसके लिए जमीन तक उपलब्ध नहीं कराया। यहीं नहीं, 2017-18 में राज्य के स्वास्थ्य बजट को लगभग दो गुना बढ़ाया गया लेकिन अब तक उस बजट का सार्थक इस्तेमाल भी नहीं हो सका। राज्य सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का भी आबादी के हिसाब से विस्तार नहीं किया। इसी प्रकार स्वास्थ्य कर्मियों और चिकित्सकों की बहाली पर भी कुंडली मारकर बैठी सरकार आपदा में निविदा और विज्ञापन निकाल रही है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की छवि को धूमिल करने का काम जदयू-भाजपा सरकार ने किया। लगातार बिहार की आम जनता एक ओर स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में छटपटा रही है तो वहीं नीतीश सरकार अपनी छवि चमकाने में व्यस्त नजर आ रही है।
राजेश राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार अब भी चेत जाएं और राज्य में कम से कम 30 वर्ष पुरानी कांग्रेस शासन काल की दी गयी स्वास्थ्य सुविधाओं को ही पुन: बहाल कर दें तो राज्य की जनता की जान बचाई जा सकेगी।
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