महागठबंधन में टकराव जारी, सचिन पायलट बोले, चुनाव साथ लड़ेंगे, मुख्यमंत्री बाद में तय होगा

पटना। बिहार की राजनीति इन दिनों काफी सरगर्म है। एक ओर महागठबंधन के भीतर नेतृत्व को लेकर मतभेद सामने आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा के माध्यम से अपनी सक्रियता बढ़ाई है। यह पदयात्रा कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के नेतृत्व में 16 मार्च को पश्चिम चंपारण के गांधी आश्रम से शुरू हुई थी, जो 27 दिन के लंबे सफर के बाद 11 अप्रैल को पटना में समाप्त हो रही है। इस यात्रा का उद्देश्य बिहार में बढ़ती बेरोजगारी, युवाओं के पलायन और उनके हक की अनदेखी के खिलाफ जनजागरण करना था। यात्रा के समापन अवसर पर कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंकी। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट भी पटना पहुंचे और एक जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने केंद्र सरकार के साथ-साथ बिहार सरकार को भी कठघरे में खड़ा किया और कहा कि बिहार के युवाओं को बार-बार धोखा दिया गया है। चुनावी वादे अब तक अधूरे हैं और युवाओं को उनके अधिकार नहीं मिल रहे। जब सचिन पायलट से यह पूछा गया कि यदि महागठबंधन को बहुमत मिलता है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा, उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस पर चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी और आलाकमान विचार करेंगे। इससे यह स्पष्ट होता है कि महागठबंधन के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर एकमत नहीं है, लेकिन चुनाव साथ मिलकर लड़े जाएंगे। वहीं, कन्हैया कुमार ने बताया कि इस यात्रा के दौरान उन्हें राज्य के अलग-अलग हिस्सों से युवाओं और आम जनता की समस्याएं सुनने को मिलीं। इन सभी समस्याओं को एक मांग पत्र के रूप में संकलित कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंपा जाएगा। कन्हैया ने यह दोहराया कि राज्य में हो रहे भारी पलायन को रोकना और युवाओं को सम्मानजनक रोजगार देना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। इस आयोजन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था भी चाक-चौबंद रही। पटना के बोरिंग रोड, बेली रोड, डाकबंगला चौराहा जैसे प्रमुख इलाकों में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई। दीघा से सचिवालय तक के क्षेत्र को विशेष निगरानी में रखा गया। इस पदयात्रा के माध्यम से कांग्रेस ने न सिर्फ बिहार के युवाओं के मुद्दों को केंद्र में लाया, बल्कि यह भी दिखाया कि वह राज्य की राजनीति में फिर से अपनी जगह बनाने को तैयार है। इस पहल ने राज्य में नई राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है।

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