दानापुर मे घाट पर दो नावों की टक्कर, नदी में बहे बीपीएससी शिक्षक, किसी ने नहीं बचाया
पटना। दानापुर में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां दो नावों की टक्कर के बाद बीपीएससी शिक्षक अविनाश कुमार गंगा नदी में बह गए। घटना दानापुर थाना क्षेत्र के फक्कड़ महतो घाट की है। अविनाश, जो फतुहा के रहने वाले थे, शुक्रवार की सुबह अन्य शिक्षकों के साथ नाव से उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय जा रहे थे। लेकिन दुर्भाग्यवश, बीच रास्ते में उनकी नाव दूसरी नाव से टकरा गई, जिससे अविनाश का संतुलन बिगड़ गया और वह नदी में गिर गए। इस घटना के प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अविनाश को तैरना नहीं आता था, और जैसे ही वह नदी में गिरे, वह बहने लगे। सबसे चिंताजनक बात यह है कि वहां मौजूद अन्य नाविक और लोग उनकी मदद के लिए आगे नहीं आए। अविनाश का चयन हाल ही में बीपीएससी टीआरई 1 के माध्यम से हुआ था, और उन्होंने 18 नवंबर 2023 को शिक्षक के रूप में योगदान दिया था। इस दुखद घटना के बाद उनके साथी शिक्षकों और स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश फैल गया है। घटना की सूचना मिलने पर दानापुर थानाध्यक्ष प्रशांत कुमार भारद्वाज और उनकी टीम तुरंत मौके पर पहुंची। हालांकि, लोगों में उस समय और अधिक आक्रोश फैल गया जब सूचना देने के बावजूद एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रेस्पॉन्स फोर्स) की टीम समय पर मौके पर नहीं पहुंची। मौके पर दानापुर बीडीओ विभेष आनंद भी पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। अविनाश के साथ स्कूल जा रही शिक्षिका पल्लवी ने घटना का विस्तृत विवरण दिया। उन्होंने बताया कि सुबह करीब आठ बजे के आसपास 10-12 शिक्षक दियारा इलाके में पढ़ाने जाने के लिए फक्कड़ महतो घाट पर पहुंचे थे। बारिश होने के कारण वे कुछ समय के लिए रुक गए थे। जब बारिश रुकी, तो वे सभी नाव पर चढ़ने लगे। अविनाश ने पहले अपनी गाड़ी नाव पर चढ़ाई, फिर स्वयं नाव पर चढ़ने लगे। लेकिन इसी दौरान, एक दूसरी नाव ने उनकी नाव को पीछे से टक्कर मार दी। इस टक्कर के कारण अविनाश का संतुलन बिगड़ गया और वह सीधे गंगा नदी में गिर गए। पल्लवी ने बताया कि जैसे ही अविनाश गिरे, वे सभी मदद के लिए चिल्लाने लगे। लेकिन वहां मौजूद किसी ने भी उनकी सहायता के लिए हाथ नहीं बढ़ाया। अविनाश तेजी से नदी के बहाव में बहते चले गए। इस घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है, खासकर उनके साथी शिक्षकों को, जो इस हादसे से सदमे में हैं। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और एसडीआरएफ की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। लोगों का आरोप है कि अगर समय रहते एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंच जाती, तो शायद अविनाश को बचाया जा सकता था। यह घटना न केवल एक शिक्षक की दर्दनाक मौत की कहानी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि किस तरह से आपातकालीन स्थितियों में लोगों की सहायता की कमी हो सकती है। प्रशासन और एसडीआरएफ की समय पर कार्रवाई न होने पर भी सवाल उठ रहे हैं।