मोकामा-बख्तियारपुर फॉरलेन पर दो वाहनों की टक्कर से सड़क हादसा, दो शिक्षकों की दर्दनाक मौत
पटना। मंगलवार की सुबह बिहार के मोकामा-बख्तियारपुर फॉरलेन पर एक दर्दनाक सड़क हादसे में दो शिक्षकों की जान चली गई। यह घटना मोर गांव के पास हुई जब तेज रफ्तार इनोवा गाड़ी ने शिक्षकों की बाइक को जोरदार टक्कर मारी, जिससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। मृतकों की पहचान मोर गांव के राजेश कुमार और बरहपुर के देवनंदन यादव के रूप में हुई है, जो रोज की तरह बाइक से शेखपुरा मध्य विद्यालय जा रहे थे। इस दुर्घटना के बाद मोर और बरहपुर गांव में शोक की लहर दौड़ गई है, और ग्रामीणों में दुख और गुस्से का माहौल है। राजेश कुमार और देवनंदन यादव, जो दोनों शिक्षक थे, अपनी बाइक पर शेखपुरा मध्य विद्यालय जा रहे थे। उसी दौरान झारखंड से पटना जा रही तेज रफ्तार इनोवा ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि दोनों शिक्षकों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। हादसे की खबर मिलते ही मोकामा और घोसवरी पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और स्थानीय ग्रामीणों ने भी मौके पर इकट्ठा होकर अपने दुख का इजहार किया। यह हादसा बिहार के सड़कों पर तेजी से बढ़ती दुर्घटनाओं की प्रवृत्ति को उजागर करता है। विशेष रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य राजमार्ग जैसे महत्वपूर्ण मार्ग दुर्घटनाओं का मुख्य कारण बनते जा रहे हैं। ग्रामीणों ने इन्हें “किलिंग जोन” कहना शुरू कर दिया है, क्योंकि इन पर आए दिन बड़े हादसे होते रहते हैं। पुलिस मुख्यालय द्वारा परिवहन विभाग को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार, कुल सड़क दुर्घटनाओं का 86% हिस्सा NH और RCD मार्गों पर होता है। स्टेट हाईवे पर होने वाली दुर्घटनाओं का प्रतिशत भी बहुत अधिक है, और कई बार हादसे इतने गंभीर होते हैं कि लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं। बिहार से गुजरने वाले कुल 6 राष्ट्रीय राजमार्गों पर 2023 में 2,142 हादसे हुए, जिनमें से 1,734 घायल गंभीर रूप से घायल हुए और कई लोगों की जान चली गई। सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं NH-31 पर हुईं, जहां 539 हादसों में 431 लोगों की मौत हो गई। बिहार में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, और इससे यह सवाल उठता है कि क्या सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक नियमों का पालन ठीक से हो रहा है? बिहार के कई राजमार्गों पर ओवरस्पीडिंग, गलत दिशा में वाहन चलाना, और सीट बेल्ट व हेलमेट न पहनना आम समस्याएं बन गई हैं। ऐसी स्थितियों में जब सुरक्षा मानकों का पालन नहीं होता, तो सड़क दुर्घटनाएं अपरिहार्य हो जाती हैं। इसके अलावा, तेज रफ्तार और सड़कों की खराब हालत दुर्घटनाओं का बड़ा कारण बनते हैं। ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के बावजूद इन पर निगरानी नहीं होती, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। NH-31 जैसे व्यस्त राजमार्ग पर होने वाली दुर्घटनाओं में कई बार ऐसी स्थितियां बन जाती हैं, जिनमें लोगों की जान चली जाती है।हादसे के बाद मोकामा और घोसवरी पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया और शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। प्रशासन ने मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने की घोषणा की है और घायलों को इलाज के लिए भेजा गया है। लेकिन दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए, मुआवजा और उपचार मात्र अस्थाई समाधान हैं। इन दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। बिहार में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ट्रैफिक नियमों को सख्ती से लागू करना बहुत जरूरी है। NH और RCD पर अधिक संख्या में स्पीड कैमरा, यातायात पुलिस और सख्त निगरानी व्यवस्था होनी चाहिए। वाहनों की गति को नियंत्रित करना, ट्रैफिक नियमों का पालन सुनिश्चित करना और सड़क पर सुरक्षा मानकों का पालन करना, यह सभी कदम दुर्घटनाओं की संख्या को कम कर सकते हैं। इसके अलावा, इन मार्गों पर लगे स्पीड ब्रेकर और साइनेज जैसे आधारभूत ढांचों में सुधार किया जाना चाहिए। सड़कों की मरम्मत और सुरक्षा से संबंधित बेहतर व्यवस्था न केवल दुर्घटनाओं की संभावना को कम कर सकती है, बल्कि लोगों की जान भी बचा सकती है। मोकामा-बख्तियारपुर फॉरलेन पर हुए इस हादसे ने न केवल दो परिवारों को गहरे दुख में डाल दिया है, बल्कि इसने बिहार की सड़कों पर बढ़ती दुर्घटनाओं की समस्या को फिर से उजागर किया है। इस हादसे में दो शिक्षकों की दर्दनाक मौत के बाद, राज्य के सड़कों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाने की आवश्यकता को फिर से महसूस किया जा रहा है। सरकार और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे सड़कों पर कड़ी निगरानी रखें और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।