February 13, 2025

निर्माणाधीन स्टेडियम और खेल अकादमी का निरीक्षण करने राजगीर पहुंचे सीएम नीतीश, अधिकारियों को निर्देश देकर लौटे पटना

नालंदा। सीएम नीतीश कुमार अधिकारियों के साथ राजगीर पहुंचे। उन्होंने निर्माणाधीन स्टेडियम और खेल अकादमी का निरीक्षण किया। 10 मिनट तक निरीक्षण के बाद मुख्यमंत्री वापस हवाई मार्ग से पटना लौट गए। दरअसल राजगीर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट एकेडमी, जो एक समय में बिहार के गौरव का प्रतीक बनने वाली थी, आज विलंब और अनिश्चितता के बीच फंसी हुई है। 2007 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा घोषित यह परियोजना, 17 वर्षों के बाद भी प्रतीक्षा कर रही है। 29 अगस्त को उद्घाटन की पूरी संभावना है। तैयारी का जायजा लेने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज राजगीर पहुंचे। 740 करोड़ रुपए से अधिक की लागत वाली यह परियोजना 90.765 एकड़ में फैली है। इसे देश की सबसे आधुनिक खेल सुविधाओं से लैस होना था। हालांकि, निर्माण की चार समय सीमाएं पहले ही समाप्त हो चुकी हैं, और अब पांचवीं समय सीमा मार्च 2025 तक निर्धारित की गई है। भवन निर्माण विभाग के सचिव कुमार रवि और जिला प्रशासन इस परियोजना को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। नालंदा जिले के डीएम शशांक शुभंकर ने कहा, “निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। हमने कार्य एजेंसी को चेतावनी दी है कि वे शीघ्र काम पूरा करें।”एकेडमी में एक मुख्य क्रिकेट स्टेडियम के साथ आठ छोटे स्टेडियम, एक विश्व स्तरीय खेल पुस्तकालय, और विभिन्न खेलों के लिए प्रशिक्षण केंद्र शामिल हैं। मुख्य स्टेडियम में 49,000 दर्शकों के बैठने की क्षमता होगी, जबकि छोटे स्टेडियमों में 5,000 से 10,000 दर्शकों के बैठने की व्यवस्था होगी। यह परियोजना केवल क्रिकेट तक ही सीमित नहीं है। इसमें एथलेटिक्स, फुटबॉल, हॉकी, वॉलीबॉल, कबड्डी, और कई अन्य खेलों के लिए सुविधाएं शामिल हैं। इसके अलावा, एक अत्याधुनिक अस्पताल, फिटनेस सेंटर, और खेल अनुसंधान सुविधाएं भी प्रस्तावित हैं।हालांकि, इस महत्वाकांक्षी परियोजना के पीछे का उद्देश्य सराहनीय है, लेकिन लगातार देरी ने इसकी प्रगति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय खेल प्रेमियों और युवा एथलीटों के बीच निराशा बढ़ती जा रही है, जो इस सुविधा के पूरा होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।यदि यह परियोजना समय पर पूरी हो जाती है, तो यह न केवल बिहार बल्कि पूरे पूर्वी भारत के खेल परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखती है। लेकिन सवाल यह है कि क्या मार्च 2025 की नई समय सीमा का पालन किया जा सकेगा, या यह एक और खोखला वादा साबित होगा। जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है, राजगीर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट एकेडमी की कहानी एक महत्वाकांक्षी सपने से लेकर प्रशासनिक चुनौतियों और विलंब के एक उदाहरण में बदलती जा रही है। अब देखना यह है कि क्या सरकार और निर्माण एजेंसियां इस परियोजना को समय पर पूरा करके बिहार के युवा एथलीटों के सपनों को साकार कर पाएंगी।

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