राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचे सीएम नीतीश, कैबिनेट विस्तार की हुई चर्चा, नए मंत्रियों की सौंपी लिस्ट
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अचानक राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात की, जिससे राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। हालांकि, इस मुलाकात की आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन इसे बिहार सरकार के प्रस्तावित कैबिनेट विस्तार से जोड़ा जा रहा है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को नए मंत्रियों की सूची सौंपने और शपथ ग्रहण की तारीख तय करने पर चर्चा की है। बिहार में लंबे समय से मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा चल रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संकेत दिए हैं कि कैबिनेट विस्तार के जरिए भाजपा और जदयू के नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। वर्तमान में मंत्रिमंडल में कुल 30 मंत्री हैं, जबकि विधानसभा की संख्या के अनुसार, अधिकतम 36 मंत्री हो सकते हैं। इस प्रकार, अभी 6 पद खाली हैं। भाजपा से 4 और जदयू से 2 नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिलने की संभावना है। यह विस्तार सरकार की कार्यक्षमता बढ़ाने और क्षेत्रीय एवं जातीय संतुलन बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। सीएम नीतीश की राज्यपाल से मुलाकात केवल औपचारिकता नहीं थी। ऐसी अटकलें हैं कि मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को कैबिनेट विस्तार की सूची सौंपी है। साथ ही, शपथ ग्रहण समारोह की तारीख तय करने को लेकर भी चर्चा हुई है। मुख्यमंत्री ने यह भी सुनिश्चित किया कि राज्यपाल इस अवधि में उपलब्ध रहें। इसके अतिरिक्त, कैबिनेट में शामिल किए जाने वाले नए चेहरों के चयन का अधिकार पूरी तरह मुख्यमंत्री के पास है। इन नियुक्तियों से पहले सीएम ने यह सुनिश्चित किया कि नए मंत्रियों के चयन और शपथ ग्रहण का समायोजन सुचारू रूप से हो। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव द्वारा दिए गए संभावित प्रस्तावों और सियासी फेरबदल की अटकलों को भी इस मुलाकात से जोड़ा जा रहा है। हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह पहले ही ऐसी गलतियां कर चुके हैं और अब किसी राजनीतिक फेरबदल के पक्ष में नहीं हैं। इससे यह तो स्पष्ट है कि राज्य सरकार का पूरा ध्यान कैबिनेट विस्तार पर केंद्रित है। भाजपा और जदयू के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए नए चेहरों का चयन किया जाएगा। नीतीश कुमार का अचानक राजभवन जाना बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। कैबिनेट विस्तार के जरिए सरकार नए चेहरों को जिम्मेदारी सौंपने और विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है। यह विस्तार न केवल मंत्रिमंडल को अधिक प्रभावी बनाएगा, बल्कि आगामी चुनावों से पहले सियासी संतुलन साधने में भी मदद करेगा।