सीएम नीतीश के साथ ‘लेफ्ट-राइट’ कर सकेंगे तारा किशोर-रेणु देवी या फिर बिगड़ेगा संतुलन!
पटना।बिहार विधानसभा चुनाव के उपरांत बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हो चुका है।इस सरकार में पूर्व से उपमुख्यमंत्री रहे सुशील मोदी के बजाय तारा किशोर प्रसाद तथा रेणु देवी को भाजपा कोटे से उप मुख्यमंत्री बनाया गया है। प्रदेश के राजनीतिक फिजाओं में इस बात की चर्चा तेज है कि ये दोनों नए उपमुख्यमंत्री कहां तक प्रदेश के सीएम नीतीश कुमार के साथ कदमताल बैठा पाएंगे।दरअसल बिहार में भाजपा-जदयू गठबंधन की सरकार 2005 में बनने के उपरांत 2015 के महागठबंधन सरकार के ढाई वर्षो के कार्यकाल को हटा दिया जाए।तो भी साढे 12 वर्षों तक बिहार में नीतीश कुमार तथा सुशील मोदी के जोड़ी ने सीएम-डिप्टी सीएम का पद संचालन किया है।भाजपा-जदयू के गठबंधन की एकता का आधार नीतीश कुमार तथा सुशील मोदी की बेहतर ट्यूनिंग भी मानी जाती रही है। मगर इस बार की सरकार में सुशील मोदी के बजाय भाजपा ने प्रयोग करते हुए दो नए चेहरों को डिप्टी सीएम के स्थान पर स्थापित किया है।जिसमें से तारा किशोर प्रसाद नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में कभी मंत्री भी नहीं रहे हैं। ऐसे में उनका सीधा उपमुख्यमंत्री बन कर सीएम नीतीश के साथ कदमताल बैठा पाना कहां तक संभव हो सकेगा।भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी है।कई राज्यों में भाजपा का प्रयोगवादी नजरिया सफल साबित हुआ है।यहां पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के विधान परिषद में बरकरार रहने के बावजूद भाजपा ने प्रयोग करते हुए दो नए चेहरों को उप मुख्यमंत्री पद देकर प्रदेश में वोटों का जातीय समीकरण को भी साधने का प्रयास किया है।उल्लेखनीय है कि उपमुख्यमंत्री तारा किशोर प्रसाद वैश्य के कलवार जाति से आते हैं।वहीं उपमुख्यमंत्री रेनू देवी नोनिया जाति से आती हैं।दोनों डिप्टी सीएम का पद गैर सवर्णों को देकर भाजपा ने बिहार में लालू यादव तथा नीतीश कुमार के आधार पिछड़ा वोट बैंक पर चोट करने का बड़ा इंतजाम किया है।