January 5, 2025

औरंगाबाद में पैक्स चुनाव में दो पक्षों के बीच झड़प, जमकर मारपीट, पत्थरबाजी से स्थिति तनावपूर्ण

औरंगाबाद। बिहार के औरंगाबाद जिले में पंचायत स्तरीय प्राथमिक कृषि सहकारी समिति (पैक्स) चुनाव के दौरान हिंसा भड़क उठी। देव प्रखंड के पूर्वी केताकि पंचायत के पड़रिया गांव में मतदान प्रक्रिया के दौरान दो पक्षों के बीच झड़प हो गई, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई। इस दौरान मारपीट और पत्थरबाजी की घटनाएं हुईं। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की और स्थिति को शांत करने के प्रयास किए जा रहे हैं।  यह झड़प उस समय हुई जब पड़रिया गांव में मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे थे। मतदान केंद्र पर पहले से ही दोनों पक्षों के समर्थक मौजूद थे। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, किसी बात को लेकर दोनों पक्षों के बीच कहासुनी शुरू हुई, जो जल्द ही हिंसक झड़प में बदल गई। मारपीट और पत्थरबाजी की वजह से मौके पर अफरातफरी मच गई। स्थानीय लोगों के अनुसार, दोनों पक्षों के बीच पहले से विवाद चल रहा था, जो चुनाव के दौरान और बढ़ गया। घटना के बाद इलाके में तनाव का माहौल है। घटना की सूचना मिलते ही देव थाना की पुलिस टीम तुरंत मौके पर पहुंची और झड़प को शांत कराने का प्रयास किया। पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाने और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए त्वरित कार्रवाई की। फिलहाल मतदान प्रक्रिया को प्रभावित न होने देने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। जिला प्रशासन ने कहा है कि चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण बनाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। प्रशासन ने मतदाताओं से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार के विवाद से बचें और शांतिपूर्ण तरीके से अपने मताधिकार का प्रयोग करें। पैक्स (प्राथमिक कृषि सहकारी समिति) चुनाव ग्रामीण स्तर पर कृषि और सहकारी गतिविधियों के संचालन के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन चुनावों में चुने गए प्रतिनिधि किसानों और ग्रामीणों के लिए विकास योजनाओं को लागू करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिहार में पैक्स चुनाव का पहला चरण चल रहा है, और बड़ी संख्या में मतदाता सुबह से ही मतदान केंद्रों पर पहुंचकर अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। औरंगाबाद जिला प्रशासन ने शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं। बिहार में चुनावों के दौरान हिंसा और झड़प की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। पंचायत और स्थानीय निकाय चुनावों में अक्सर ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं। यह स्थिति न केवल कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि मतदाताओं के बीच भय का माहौल भी पैदा करती है। पड़रिया गांव की घटना इस बात को रेखांकित करती है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान प्रशासन और पुलिस को सतर्क रहना चाहिए। चुनाव में हिंसा रोकने के लिए पहले से बेहतर रणनीति और दोनों पक्षों के बीच संवाद स्थापित करना आवश्यक है। घटना के बाद गांव में तनाव व्याप्त है। स्थानीय निवासियों ने पुलिस और प्रशासन से अपील की है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, *”चुनाव के दौरान ऐसी घटनाओं से गांव का माहौल खराब हो जाता है। प्रशासन को चाहिए कि वह ऐसे मामलों को गंभीरता से ले और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करे।” पैक्स चुनावों में हुई इस हिंसक घटना ने एक बार फिर से चुनावी प्रक्रिया की शुचिता और शांति बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। प्रशासन को चाहिए कि वह सुरक्षा प्रबंधन को और मजबूत करे और इस घटना के दोषियों को जल्द से जल्द कानून के दायरे में लाए। चुनाव लोकतंत्र की आत्मा होते हैं, और इसमें हिंसा और विवाद का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह ग्रामीण स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सुचारु और शांतिपूर्ण बनाए। इस घटना से सबक लेकर भविष्य के चुनावों में हिंसा रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।

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