चिराग की याचिका हाईकोर्ट ने किया खारिज, कहा- मामला लोकसभा स्पीकर के पास पेडिंग, लिहाजा आदेश देने की कोई जरूरत नहीं

CENTRAL DESK : लोजपा के संस्थापक दिवंगत रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। चाचा पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता बनाने के खिलाफ चिराग की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि चिराग पासवान की याचिका में कोई आधार नहीं है। मामला लोकसभा स्पीकर के पास पेडिंग है। लिहाजा आदेश देने की कोई जरूरत नहीं है।
लोकसभा अध्यक्ष की तरफ से लोजपा के सदस्य के तौर पर पशुपति पारस को मंत्री पद की शपथ लेने के खिलाफ दाखिल चिराग पासवान की याचिका पर शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। स्पीकर के वकील ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने इस मामले में स्पीकर से बात की है। उनकी तरफ से जानकारी दी गई है कि इस प्रकरण को वो देख रहे हैं। वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया।
कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में अभी कोई आदेश नहीं दे सकते क्योंकि स्पीकर इस मामले को देख रहे हैं। लोकसभा अध्यक्ष के वकील ने कहा कि इस याचिका पर सुनवाई का कोई आधार नहीं है। जब लोकसभा स्पीकर खुद इस मामले को देख रहे हैं। चिराग के वकील ने स्पीकर के इस बात का कोई विरोध नहीं किया है।
वहीं पशुपति पारस की तरफ से पेश वकील ने कहा कि जो लेटर पारस ने लोकसभा अध्यक्ष को दिया था उस समय पशुपति पारस पार्टी के चीफ व्हिप थे और बाद में पार्टी के नेता चुने गए थे। कोर्ट ने कहा कि आपको चुनाव आयोग जाना चाहिए। यहां नहीं आना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि ये याचिका यहां पर मेंटिनेबल नहीं है।
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में चिराग पासवान ने कहा है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने की वजह से राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते पशुपति कुमार पारस को पार्टी से निकाला जा चुका है। इस वजह से वे लोजपा के सदस्य नहीं हैं। चिराग ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के उस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उनके चाचा केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस के गुट को मान्यता दी है।

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