बांका में 6 बच्चे फूड प्वाइजनिंग का शिकार, गंभीर हालत में भागलपुर रेफर
बांका। बिहार के बांका जिले में फूड प्वाइजनिंग के एक और गंभीर मामला सामने आया है, जहां छह बच्चे इसकी चपेट में आ गए। ये बच्चे अमरपुर क्षेत्र के चौखट गांव के रहने वाले हैं, और फिलहाल उनकी स्थिति गंभीर बताई जा रही है। परिजनों द्वारा बच्चों को पहले स्थानीय रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें भागलपुर के मायागंज अस्पताल रेफर कर दिया है। मिली जानकारी के अनुसार, रविवार की रात चौखट गांव के ये बच्चे केन्दुआर गांव में दुर्गा पूजा का मेला देखने गए थे। मेला देखकर घर लौटने के बाद बच्चों ने रात का भोजन किया और सो गए। लेकिन आधी रात के करीब 1 बजे सभी बच्चों को अचानक उल्टी और दस्त की शिकायत होने लगी। स्थिति तेजी से बिगड़ती देख परिजन बच्चों को तुरंत नजदीकी प्राइवेट क्लिनिक ले गए, जहां उनकी हालत और गंभीर हो गई। प्राइवेट क्लिनिक में बच्चों की बिगड़ती हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें रेफरल अस्पताल भेजने की सलाह दी। वहां पहुंचने पर डॉक्टर अपूर्व अमन सिंह ने प्राथमिक उपचार के बाद बच्चों की स्थिति को गंभीर बताते हुए उन्हें भागलपुर के मायागंज अस्पताल रेफर कर दिया। डॉक्टरों के अनुसार, यह मामला फूड प्वाइजनिंग का है और इसकी वजह शायद मेले में बच्चों द्वारा बासी खाना खाना हो सकता है। यह भी बताया गया कि इस प्रकार की घटनाएं आमतौर पर दूषित भोजन के सेवन से होती हैं, जिससे शरीर में विषैले तत्व प्रवेश कर जाते हैं। इससे उल्टी, दस्त, पेट दर्द और अन्य गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं। डॉक्टर अपूर्व अमन सिंह ने बताया कि बच्चों में फूड प्वाइजनिंग के स्पष्ट लक्षण देखे गए हैं। हालांकि, जब तक उनके सभी टेस्ट रिपोर्ट्स नहीं आ जाते, तब तक यह पुष्टि करना मुश्किल है कि किस प्रकार के दूषित भोजन ने उनकी तबियत बिगाड़ी। उन्होंने यह भी बताया कि फूड प्वाइजनिंग के कारण शरीर में गंभीर जलन और कमजोरी आ सकती है, जिसके चलते बच्चों को तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है। फूड प्वाइजनिंग से प्रभावित बच्चों में शामिल हैं राजेश मांझी के 12 वर्षीय पुत्र लड्डू कुमार और पांच वर्षीय पुत्री सपना कुमारी। इनके अलावा पिंटू मांझी का 12 वर्षीय पुत्र गोपाल कुमार, अजय मांझी की पांच वर्षीय पुत्री रबीना कुमारी, बारह वर्षीय पुत्री गंगिया कुमारी और उर्मिला देवी शामिल हैं। सभी बच्चों को भागलपुर के मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका उपचार चल रहा है। परिजनों का कहना है कि सभी बच्चे दुर्गा पूजा के मेला देखने गए थे और वहां से लौटने के बाद घर में रात का खाना खाकर सो गए थे। आधी रात को अचानक उनकी तबियत बिगड़ने लगी और उल्टी-दस्त की शिकायत शुरू हो गई। रेफरल अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद बच्चों की स्थिति को देखते हुए उन्हें मायागंज भागलपुर भेजा गया। प्रशासनिक अधिकारियों ने भी इस मामले पर संज्ञान लिया है और चिकित्सा अधिकारियों को स्थिति पर नजर बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, मेले में लगे खाद्य विक्रेताओं की जांच की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वहां कोई दूषित खाद्य सामग्री तो नहीं बेची जा रही थी। इस घटना ने एक बार फिर से फूड सेफ्टी और हाइजीन के महत्व को रेखांकित किया है, खासकर त्योहारों के दौरान, जब लोग बड़े पैमाने पर सार्वजनिक स्थानों पर इकट्ठा होते हैं। इस तरह की घटनाएं रोकने के लिए यह आवश्यक है कि सार्वजनिक आयोजनों में बेचे जाने वाले खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच की जाए और स्थानीय प्रशासन इसके लिए उचित कदम उठाए। फूड प्वाइजनिंग जैसी घटनाओं से बचने के लिए यह जरूरी है कि भोजन का सेवन करने से पहले उसकी गुणवत्ता और ताजगी की जांच की जाए। मेले जैसे बड़े आयोजनों में जहां खाने-पीने की चीजों का व्यापक वितरण होता है, वहां प्रशासन को भी सतर्क रहना चाहिए। खाद्य सामग्री बेचने वाले विक्रेताओं को भी इसके प्रति जागरूक करना जरूरी है ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। इस दुखद घटना ने बच्चों और उनके परिजनों को गहरे सदमे में डाल दिया है, और अब सभी की उम्मीदें मायागंज अस्पताल में चल रहे उपचार पर टिकी हुई हैं। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस घटना पर गंभीरता से ध्यान दे रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।