December 23, 2024

PATNA : सादगी भरा जीवन रहा बिहार और उत्तर पूर्व की पहली महिला चीफ इंजीनियर प्रियदर्शनी अरुंधति का

  • 15 अगस्त 2020 को उन्होंने दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कहा

पटना(अजीत)। महिलाओं युवतियों के लिये प्रेरणादायक और सादगी भरा जीवन रहा बिहार और उत्तर पूर्व की पहली महिला चीफ इंजीनियर स्व प्रियदर्शनी अरुंधति का। स्वर्गीय अरुंधति 30 जून 2018 को अपने पद से रिटायर हुई और सादगी से जीवन व्यतीत करने के बाद 15 अगस्त 2020 को उन्होंने दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। 15 अगस्त 2022 उनकी दूसरी पुण्यतिथि है। इलेक्ट्रिकल परामर्शी का काम करते हुए 1984 में बिहार विद्युत बोर्ड में लिखित परीक्षा के द्वारा सिलेक्शन हुआ और वह विद्युत बोर्ड की प्रथम महिला इंजीनियर बनी। विभिन्न पदों पर रहते हुए बिहार और पूरे उत्तर पूर्व की वह पहली महिला चीफ इंजीनियर बनने का गौरव प्राप्त हुआ। स्वर्गीय प्रियदर्शनी अरुंधति बीआटी मेसरा रांची से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग 1975 बैच की एकमात्र महिला स्टूडेंट ने अपने बैच इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर 1981 में पटना आई। इस बीच माता का निधन 1980 में और पिता का निधन 1981 में हो गया।

पारिवारिक संकट के बावजूद इंजीनियरिंग की पढ़ाई में सफलता प्राप्त की। साथ में 2 छोटी बहनों की पढ़ाई और देखरेख की जिम्मेदारी भी कंधे पर आई। 1982 में विवाह बसंत कुमार सिन्हा से हुआ जो वर्तमान में पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ता हैं। इन दोनों की शादी बिना तिलक दहेज की हुई थी और इसमें शहर के प्रबुद्ध लोग शामिल हुए थे। पति का साथ मिला तो समस्याएं भी धीरे-धीरे कम होने लगी। दोनों बहनों की पढ़ाई के बाद उनकी शादी भी हुई। इन जिम्मेदारियों के बाद अपनी दो बेटियों की पढ़ाई की जिम्मेदारी और फिर शादी करने का भी काम किया। बड़ी बेटी एक कारपोरेट में सीनियर पद पर काम करती है और छोटी बेटी एक अमेरिकन कंपनी में विधि मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। जीवन के साथ घरेलू चुनौतियों का सामना कर अरुंधति औरों के लिए प्रेरणास्रोत बनी। चुनौतियों के सामने कभी भी अपने घुटने नहीं टेके। पिता स्वर्गीय नकुलेश्वर प्रसाद पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ता थे और पटना लॉ कॉलेज में पढ़ाते थे। दादा बाबू राम प्रसाद पटना हाई कोर्ट अधिवक्ता एवं पटना यूनिवर्सिटी के सीनेट के मेंबर भी थे। पटना हाई कोर्ट के स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा था। वे प्रथम राष्ट्रपति स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद के मित्र और सहयोगी भी थे।

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