पटना में नहाए खाए के साथ चैती छठ शुरू, गंगा घाटों पर भीड़, सीएम नीतीश ने दी बधाई

पटना। बिहार में चैती छठ महापर्व का शुभारंभ नहाय-खाय के साथ हो चुका है। इस पवित्र पर्व की शुरुआत व्रतियों द्वारा गंगा स्नान और सूर्य पूजा से होती है। भक्तगण गंगा नदी में डुबकी लगाकर आत्मशुद्धि करते हैं और इसके बाद कद्दू-भात का सात्विक प्रसाद ग्रहण करते हैं। यह पर्व पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ मनाया जाता है, जिसमें सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व है।
चार दिवसीय पर्व का क्रम
चैती छठ चार दिनों तक मनाया जाता है। 2 अप्रैल को खरना होगा, जिसमें व्रती पूरे दिन उपवास रखकर संध्या में गुड़ से बनी खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करेंगे। 3 अप्रैल को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और 4 अप्रैल को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर यह महापर्व समाप्त होगा। इस पर्व में आत्मानुशासन, पवित्रता और श्रद्धा का विशेष महत्व होता है।
मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेशवासियों को चैती छठ की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि यह पर्व आत्मिक शुद्धि और निर्मल मन से किए जाने वाले व्रतों में से एक है। छठ पूजा करने से सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। यह पर्व न सिर्फ आध्यात्मिक बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी माना जाता है।
नहाय-खाय का महत्व
चैती छठ की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन व्रती विशेष रूप से पवित्र भोजन ग्रहण करते हैं, जिसमें लहसुन-प्याज का प्रयोग नहीं किया जाता। प्रसाद के रूप में कद्दू-भात, चने की दाल, आंवला की चटनी, पापड़ और तिलौरी बनाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस प्रसाद को ग्रहण करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और वैज्ञानिक दृष्टि से यह गर्भाशय को मजबूत बनाता है।
खरना का महत्व
2 अप्रैल को खरना की परंपरा निभाई जाएगी। इस दिन व्रती पूरे दिन निराहार रहते हैं और शाम को गुड़ की खीर, रोटी और गंगाजल का सेवन कर उपवास तोड़ते हैं। इसके बाद 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास शुरू हो जाता है, जिसमें जल ग्रहण करने की भी अनुमति नहीं होती।
संध्या और प्रातः अर्घ्य का विशेष महत्व
3 अप्रैल को व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। इस दौरान गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ेगी। 4 अप्रैल को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य को अर्घ्य देने से तन और मन की शुद्धि होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
छठ व्रत का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पक्ष
छठ महापर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभकारी माना जाता है। कद्दू में प्रचुर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं। इसके अलावा, सूर्योदय और सूर्यास्त के समय जल में खड़े होकर अर्घ्य देने से शरीर को ऊर्जा मिलती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है। इस प्रकार, चैती छठ का यह महापर्व पूरे नियम और निष्ठा के साथ मनाया जाता है, जिसमें भक्तगण अपने तन, मन और आत्मा की शुद्धि के लिए तप करते हैं।
