पटना में 3486 स्कूलों में बनेंगे मतदान केंद्र; डीईओ का निर्देश जारी, शिक्षकों की लगेगी ड्यूटी
पटना। आगामी लोकसभा चुनाव के लिए 1 जून को पटना के पटना साहिब और पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्रों में मतदान होना है। जिले के 3486 स्कूलों में मतदान केंद्र बनाए गए हैं। पटना जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने निर्देश दिया है कि मतदान के दिन विद्यालय के सभी कक्षाओं को खोला जाए, ताकि उन्हें वोटिंग रूम के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। इस समय जिले के सरकारी शिक्षकों पर कार्य का भारी बोझ है। वे सुबह 6:00 से 1:30 बजे तक विद्यालय में शैक्षणिक कार्य करते हैं और उसके बाद मतदाता विवरण पर्ची बांटने निकल जाते हैं। मतदाता पर्ची बांटने का जिम्मा भी शिक्षकों के पास है। इन जिम्मेदारियों के बीच जिला शिक्षा पदाधिकारी ने सभी विद्यालयों में फर्नीचर के साथ-साथ पानी और शौचालय की व्यवस्था को भी दुरुस्त करने का निर्देश दिया है, ताकि मतदान केंद्रों पर आने वाले मतदाताओं को कोई असुविधा न हो। इसके अलावा, स्कूलों में कार्यरत रसोइयों को सुबह में वोटिंग के दिन मतदान केंद्र खोलने का निर्देश दिया गया है। हर मतदान केंद्र पर एक शिक्षक को बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) के रूप में नियुक्त किया गया है। इस कार्य में प्रत्येक स्कूल से 3 से 4 शिक्षकों को लगाया गया है। सभी स्कूलों की दीवारों पर मतदान केंद्र संख्या, लोकसभा क्षेत्र का नाम व संख्या, विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की मतदान तिथि और समय के साथ ही मतदान केंद्र का नाम भी अंकित किया जा रहा है। इन व्यवस्थाओं का उद्देश्य है कि चुनाव के दिन मतदान प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके और मतदाताओं को कोई परेशानी न हो। शिक्षक, जो पहले से ही भारी कार्यभार के साथ काम कर रहे हैं, उन्हें इन अतिरिक्त जिम्मेदारियों को निभाने के लिए तैयार किया जा रहा है। लोकसभा चुनाव के लिए पटना जिले में की गई ये तैयारियां महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह सुनिश्चित करेंगी कि चुनावी प्रक्रिया निर्विघ्न रूप से संपन्न हो सके। मतदान केंद्रों पर पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराने से मतदाताओं को बेहतर अनुभव मिलेगा और वे बिना किसी असुविधा के अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। जिला शिक्षा पदाधिकारी के इन निर्देशों का पालन करते हुए शिक्षक और अन्य संबंधित कर्मचारी चुनावी प्रक्रिया को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस तरह, चुनाव के दिन सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से संचालित होंगी और लोकतंत्र के इस महापर्व में अधिक से अधिक लोग भाग ले सकेंगे।