ज्ञानवापी मामले में शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर आज आ सकता हैं फैसला, 2 बजे जिला जज करेगें सुनवाई
वाराणसी। यूपी के वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग मामले पर आज फैसला आ सकता है। बताया जा रहा है कि दोपहर करीब दो बजे कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी। ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी मामले पर फैसला वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश के कोर्ट में सुनाया जाएगा। ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से वैज्ञानिक पद्धति से जांच की मांग पर आज बड़ा फैसला आ सकता है। शिवलिंग की आकृति की कार्बन डेटिंग कराने के आवेदन पर जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में 12 अक्तूबर को सुनवाई हुई थी। सुनवाई के बाद आदेश के लिए 14 अक्तूबर यानि आज की तिथि नियत की थी। 12 अक्तूबर को सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतजामिया ने अपना पक्ष रखा फिर वादिनी संख्या 2 से 5 तक के अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने प्रति उत्तर में हिंदू पक्ष की दलीलें पेश की। जबकि वादिनी संख्या एक के अधिवक्ता मान बहादुर सिंह ने कोई भी दलील देने से इनकार कर दिया तब अदालत ने आदेश के लिए 14 अक्तूबर की तिथि नियत कर दी।
वही इस मामले में अंजुमन की तरफ से विरोध करते हुए दलील में अधिवक्ता मुमताज अहमद और एखलाक अहमद ने कहा कि 16 मई को सर्वे के दौरान मिली आकृति के बाबत दी गई आपत्ति का निस्तारण नहीं किया गया और मुकदमा सिर्फ शृंगार गौरी के पूजा और दर्शन के लिए दाखिल किया गया है। 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मिली आकृति को सुरक्षित व संरक्षित करने का आदेश दिया है। वैज्ञानिक जांच में केमिकल के प्रयोग से आकृति का क्षरण सम्भव है कार्बन डेटिंग जीव व जन्तु की होती है पत्थर की नहीं हो सकती। क्योंकि पत्थर कार्बन को एडाप्ट नहीं कर सकता। कहा कि कार्बन डेटिंग वाद की मजबूती व साक्ष्य संकलित करने के लिए कराई जा रही है ऐसे में कार्बन डेटिंग का आवेदन खारिज होने योग्य है। वही प्रतिउत्तर में हिदू पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन,विष्णु जैन,सुभाष नन्दन चतुर्वेदी व सुधीर त्रिपाठी ने दलील में कहा कि वाद में दृश्य व अदृश्य देवता की बात कही गई है सर्वे के दौरान वजू स्थल स्थित हौज से पानी हटाने पर अदृश्य आकृति दृश्य रूप में दिखी ऐसे में यह पार्ट ऑफ शूट है यानि दावे का हिस्सा है। बरामद आकृति शिवलिंग है या फव्वारा यह वैज्ञानिक जांच से ही स्पष्ट होगा। ऐसे में आकृति को बिना नुकसान पहुंचाए ,हिदुओं की आस्था को चोट पहुंचाए बगैर वैज्ञानिक जांच भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के विशेषज्ञ टीम से कराई जाए ताकि यह तय हो सके कि आकृति शिवलिंग है या फव्वारा।