बिहार उद्योग नीति में बड़ा बदलाव, अब राज्य के बाहरी कंपनियों को भी मिलेगा सरकारी टेंडर
- नीतीश कैबिनेट की बैठक में 36 प्रस्ताव मंजूर: पीएमसीएच में 4315 पदों पर बहाली, पटना जू में चलेगी फिर से टॉय ट्रेन
पटना। मंगलवार को राजधानी पटना में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की मीटिंग बुलाई गई। इस मीटिंग के लिए संबंधित विभागों और मंत्रालयों को पत्र जारी कर दिया गया था। मीटिंग की अध्यक्षता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की और संबंधित विभागों के अधिकारी तथा मंत्री मौजूद रहे। नीतीश कैबिनेट की इस मीटिंग मे राज्य सरकार ने 36 प्रस्ताव को स्वीकृति दी। नीतीश कैबिनेट ने उद्योग, ऊर्जा, योजना एंव विकास, कला संस्कृति एवं युवा, खान एवं भूतत्व, खेल, श्रम संसाधन, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन, परिवहन, पर्यटन, पंचायती राज, राजस्व एवं भूमि सुधार, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण, विज्ञान प्रावैधिकी एवं तकनीकी शिक्षा, वित्त, वाणिज्य कर, स्वास्थ्य और गृह विभाग से जुड़े कुल 36 प्रस्तावों को स्वीकृति दी है।
अब बाहर की कंपनियों को भी मिलेगा बिहार का टेंडर
बिहार सरकार ने उद्योग नीति में बड़ा बदलाव किया है। बिहार की कंपनी को टेंडर मिलेगा। बिहार में जीएसटी रजिस्टर्ड होना चाहिए। एल वन से अधिक दर रहने वाले कंपनी को टेंडर दिया जाएगा। एक साल पुरानी कंपनी को भी लाभ मिलेगा।बिहार सरकार ने अपनी औद्योगिक नीति में बड़ा बदलाव करते हुए राज्य के बाहर की कंपनियों को भी टेंडर में भाग लेने की अनुमति देने का फैसला किया है। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य राज्य में निवेश आकर्षित करना और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना है। इस बदलाव से राज्य में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और गुणवत्तापूर्ण कार्य सुनिश्चित हो सकेगा। उद्योग मंत्री ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अब तक केवल राज्य की ही कंपनियों को टेंडर में भाग लेने की अनुमति थी। लेकिन अब नई नीति के तहत, देशभर की कंपनियों को बिहार में निवेश करने और टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने का मौका मिलेगा। इससे बिहार में निवेश का माहौल और बेहतर होगा और राज्य के विकास में तेजी आएगी। नई औद्योगिक नीति के तहत, सरकार ने कई अन्य सुधार भी किए हैं। इनमें टेंडर प्रक्रिया को पारदर्शी और सरल बनाना, निवेशकों को आवश्यक सुविधाएं और प्रोत्साहन प्रदान करना शामिल है। सरकार का उद्देश्य है कि अधिक से अधिक कंपनियां बिहार में निवेश करें और यहां के युवाओं को रोजगार के अवसर मिलें। राज्य के औद्योगिक विकास के लिए सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करने का भी निर्णय लिया है। इसके तहत, नए सड़कें, बिजली की सुविधाएं, जलापूर्ति, और संचार सेवाओं का विस्तार किया जाएगा। इन सुधारों से उद्योगों को आवश्यक बुनियादी सुविधाएं मिलेंगी और उनके संचालन में कोई बाधा नहीं आएगी। बिहार सरकार का यह कदम राज्य में औद्योगिक विकास को नई दिशा देने वाला साबित होगा। बाहरी कंपनियों को टेंडर में भाग लेने की अनुमति देने से राज्य में निवेश का प्रवाह बढ़ेगा और आर्थिक विकास की रफ्तार तेज होगी। इसके साथ ही, रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और राज्य के लोगों की जीवन गुणवत्ता में सुधार होगा। इस नीति से बिहार को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण औद्योगिक हब के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।
पीएमसीएच में 4315 नये पदों को मिली स्वीकृति, जल्द शुरू होगी बहाली प्रक्रिया
पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) में 4315 नए पदों पर जल्द ही बहाली की जाएगी। यह कदम पीएमसीएच को बेहतर चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने और अस्पताल के संचालन को सुचारू रूप से चलाने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है। यह भर्ती प्रक्रिया स्वास्थ्य विभाग द्वारा अनुमोदित की गई है और इसमें विभिन्न विभागों में कई पद शामिल होंगे। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने जानकारी दी कि इस भर्ती प्रक्रिया के तहत डॉक्टरों, नर्सों, तकनीशियनों और अन्य सहायक स्टाफ के पद भरे जाएंगे। इससे अस्पताल में कर्मचारियों की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी और मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि भर्ती प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए विशेष कदम उठाए जा रहे हैं और इसमें किसी भी तरह की देरी नहीं होगी। पीएमसीएच बिहार का एक प्रमुख चिकित्सा संस्थान है और यहाँ पर हर दिन हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं। हालांकि, अस्पताल में पर्याप्त स्टाफ न होने के कारण मरीजों को अक्सर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। नई भर्ती से अस्पताल की क्षमता में वृद्धि होगी और मरीजों को अधिक प्रभावी और समय पर सेवाएं मिल सकेंगी। भर्ती प्रक्रिया के लिए ऑनलाइन आवेदन पत्र जमा करने की सुविधा प्रदान की जाएगी और सभी पात्र उम्मीदवारों को इसके लिए आवेदन करने का अवसर मिलेगा। चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा, साक्षात्कार और अन्य मूल्यांकन प्रक्रिया शामिल होगी, ताकि सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवारों का चयन किया जा सके। भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होगी और इसमें किसी भी प्रकार की धांधली की संभावना नहीं होगी। स्वास्थ्य विभाग ने यह भी बताया कि नए पदों के सृजन से पीएमसीएच के विभिन्न विभागों में कर्मचारियों की कमी को दूर किया जा सकेगा। इससे अस्पताल की आपातकालीन सेवाएं, ओपीडी सेवाएं और इनडोर सेवाएं बेहतर होंगी। मरीजों को अब लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा और उन्हें समय पर इलाज मिल सकेगा। नई भर्ती प्रक्रिया से न केवल पीएमसीएच में चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि राज्य के अन्य चिकित्सा संस्थानों के लिए भी एक मिसाल कायम होगी। यह पहल स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकारी प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इससे बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में व्यापक सुधार की उम्मीद की जा रही है।
पॉलिटेक्निक कॉलेज में 300 बेड का बॉयज हॉस्टल
हर घर नल जल योजना पीएचईडी विभाग को ट्रांसफर किया गया है। नल जल योजना को मरम्मत के लिए 1 लाख 8 हजार प्रति यूनिट खर्च किया जाएगा। 3 हजार 6 सौ 11 करोड़ खर्च होगा। जमुई में पॉलिटेक्निक कॉलेज में 300 बेड का बॉयज हॉस्टल बनेगा। जी प्लस 5 का हॉस्टल बनेगा। 250 बेड का महिला हॉस्टल भी बनेगा। कुल 72.61 करोड़ खर्च आएगा। मुख्यमंत्री बाल थैलेसीमिया योजना को स्वीकृति दी गई है। कैबिनेट ने हैंडलम निदेशालय बनाने का फैसला लिया गया। पदों का सृजन किया गया। परिवहन विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय में 102 पदों का सृजन किया गया है।
अटल पथ और गंगा पथ पर वाहनों की गति निर्धारण के लिए कमेटी का गठन
राज्य सरकार ने परिवहन विभाग के लिए कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दी है, जिनका उद्देश्य सड़कों पर सुरक्षा और सुव्यवस्था सुनिश्चित करना है। इनमें सड़कों पर गाड़ियों की गति निर्धारण, सरकारी सेवकों के मेडिकल रिम्बर्समेंट प्रावधानों में बदलाव, और आश्रितों के लाभ में सुधार शामिल हैं। सबसे पहले, परिवहन विभाग को सड़कों पर गाड़ियों की गति निर्धारण की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह कदम सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है। प्रमुख सड़कों जैसे अटल पथ और गंगा पथ पर गति सीमा निर्धारित की जाएगी। इसके लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया गया है, जो विभिन्न सड़कों की स्थितियों का अध्ययन करके उपयुक्त गति सीमा निर्धारित करेगी। इससे उम्मीद है कि सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी और यातायात की सुचारू व्यवस्था सुनिश्चित हो सकेगी। इसके अलावा, सरकारी सेवकों के मेडिकल रिम्बर्समेंट के प्रावधानों में भी बदलाव किए गए हैं। अब नए प्रावधान के तहत आश्रितों में सौतेले बच्चों को लाभ नहीं मिलेगा। केवल माता-पिता, पत्नी, पति, पुत्र, पुत्री, नाबालिग भाई-बहन को ही ये सुविधाएं मिलेंगी। 25 साल तक के अविवाहित बेटे और अविवाहित बेटियों को भी आश्रित माना जाएगा और वे इन सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि वास्तविक आश्रितों को अधिकतम लाभ मिल सके और संसाधनों का सही उपयोग हो सके। एक और महत्वपूर्ण फैसला मुख्यमंत्री परिवहन योजना को लेकर लिया गया है। इस योजना को अब 2025-26 तक के लिए विस्तारित कर दिया गया है। इस योजना का उद्देश्य राज्य में परिवहन सुविधाओं का विस्तार और सुधार करना है। इसके तहत राज्य के विभिन्न हिस्सों में नई बस सेवाओं की शुरुआत की जाएगी और मौजूदा सेवाओं में सुधार किया जाएगा। इससे आम जनता को बेहतर परिवहन सुविधाएं मिलेंगी और यात्रा करना और भी सुविधाजनक हो जाएगा। राज्य सरकार के इन प्रस्तावों से न केवल परिवहन व्यवस्था में सुधार होगा बल्कि सरकारी सेवकों और उनके आश्रितों को भी अधिकतम लाभ मिलेगा। इन सुधारों का उद्देश्य सरकारी संसाधनों का सही और कुशल उपयोग सुनिश्चित करना है। नई गति सीमा निर्धारण के साथ सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी, जिससे जनहानि को रोका जा सकेगा। वहीं, परिवहन सुविधाओं के विस्तार से राज्य में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। सारांश में, राज्य सरकार द्वारा परिवहन विभाग के लिए स्वीकृत किए गए इन प्रस्तावों से न केवल सड़कों पर सुरक्षा में वृद्धि होगी बल्कि सरकारी सेवकों और उनके परिवारों को भी महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त होंगे। यह कदम राज्य के समग्र विकास और जनता की सुविधाओं में सुधार के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे।