बिहार की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा, 13 नवंबर को मतदान, 23 को रिजल्ट
पटना। मंगलवार को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा में होने वाले चुनाव की तारीखों का ऐलान किया। इस चुनाव के साथ-साथ ही बिहार की चार महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव होने जा रहे हैं। इन सीटों पर उपचुनाव लोकसभा चुनावों में विधायकों के जीतकर संसद में जाने के बाद आवश्यक हो गया है। बिहार की तरारी, रामगढ़, बेलागंज और इमामगंज विधानसभा सीटें इस उपचुनाव के केंद्र में हैं। तरारी सीट पर पहले सीपीआई माले के सुदामा प्रसाद विधायक थे, जबकि रामगढ़ से राजद के सुधाकर सिंह, बेलागंज से राजद के सुरेंद्र यादव और इमामगंज से ‘हम’ पार्टी के जीतनराम मांझी विधायक थे। ये चारों नेता 2024 लोकसभा चुनाव में जीतकर सांसद बने हैं, जिससे इन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की स्थिति बनी है। इनके लोकसभा में पहुंचने के बाद बिहार विधानसभा में इन सीटों का खाली होना राज्य की राजनीति में नई चर्चा का विषय बना है। भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार सहित अन्य राज्यों की विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। बिहार में 13 नवंबर 2024 को चार विधानसभा सीटों पर मतदान होगा, और 23 नवंबर को मतगणना के बाद परिणाम घोषित किए जाएंगे। इसके साथ ही महाराष्ट्र और झारखंड की कुछ सीटों पर भी चुनाव होने जा रहे हैं। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को एक ही चरण में चुनाव होगा जबकि झारखंड में दो चरणों में मतदान होगा – पहला चरण 13 नवंबर को और दूसरा 20 नवंबर को। बिहार में उपचुनाव हमेशा से ही राजनीतिक दलों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न रहे हैं। यह उपचुनाव भी इससे अलग नहीं है। यह उपचुनाव राजनीतिक दलों के लिए एक अहम संकेतक होगा कि जनता का रुझान किस दिशा में जा रहा है। राजद, सीपीआई माले और हम (हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा) जैसी पार्टियों के विधायक लोकसभा चुनाव में चुने गए हैं, जो इन उपचुनावों को दिलचस्प बना रहे हैं। राजद और माले जैसे वामपंथी दलों के लिए यह अवसर है कि वे अपनी सीटों को बनाए रखें, जबकि विपक्षी दलों के लिए यह एक मौका है कि वे इन सीटों को छीनकर अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करें। भाजपा, जदयू और अन्य छोटे दलों की रणनीति भी इस उपचुनाव में महत्वपूर्ण होगी, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पिछले विधानसभा चुनावों में उनके उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे। यह देखना दिलचस्प होगा कि विभिन्न दल अपनी सीटें बचाने और विपक्षी सीटों पर जीत हासिल करने के लिए क्या रणनीति अपनाते हैं। उपचुनाव में उम्मीदवारों की घोषणा और प्रचार अभियान की योजना इन दलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। राजद और माले जहां अपने विधायकों द्वारा छोड़ी गई सीटों पर फिर से जीतने की कोशिश करेंगे, वहीं भाजपा और जदयू जैसी पार्टियाँ इन सीटों पर कब्जा जमाने की पूरी कोशिश करेंगी। इन सीटों के राजनीतिक समीकरण को देखते हुए यह स्पष्ट है कि जातिगत और स्थानीय मुद्दे प्रमुखता से चुनावी बहस में शामिल होंगे। बिहार की राजनीति में जातिगत समीकरण हमेशा महत्वपूर्ण रहे हैं, और यह उपचुनाव भी इससे अलग नहीं होगा। खासकर इमामगंज और तरारी जैसे क्षेत्रों में जातिगत समीकरण का सीधा असर मतदान पर देखा जा सकता है। बिहार के चार विधानसभा सीटों पर होने वाला यह उपचुनाव न सिर्फ राज्य की राजनीति बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण है। 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर यह उपचुनाव राजनीतिक दलों के लिए जनता का मूड जानने का एक बेहतरीन मौका है। बिहार की राजनीति में राजद, माले, हम, जदयू और भाजपा जैसी प्रमुख पार्टियों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी, और इनके प्रदर्शन से आगामी लोकसभा चुनावों के संभावित परिणामों का भी अंदाजा लगाया जा सकेगा। इस उपचुनाव के परिणाम यह बताएंगे कि जनता का रुझान किस ओर है और कौन-सी पार्टी अपनी पकड़ को और मजबूत करेगी। 13 नवंबर को मतदान के बाद 23 नवंबर को परिणाम आने पर यह साफ हो जाएगा कि बिहार के चार महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों पर किस पार्टी का दबदबा रहेगा।