22 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा संसद का बजट सत्र, 23 जुलाई को लोकसभा में बजट पेश करेगी वित्त मंत्री
नई दिल्ली। मोदी सरकार 3.0 का पहला बजट 23 जुलाई को पेश होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार सातवीं बार बजट पेश करेंगी। बजट सत्र 22 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसकी मंजूरी दे दी है। यह बजट नई सरकार का पहला पूर्ण बजट होगा। फरवरी में सरकार ने अंतरिम बजट पेश किया था। इस साल अप्रैल, मई में लोकसभा चुनाव होने थे, लिहाजा सरकार ने 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया था। सरकार ने बजट को गरीब, महिला, युवा और अन्नदाता, यानी किसान पर फोकस किया था। सबसे पहले वित्त मंत्रालय एक सर्कुलर जारी कर सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों, स्वायत्त संस्थाओं को नए साल के लिए एस्टिमेट बनाने के लिए कहता है। उन्हें नए साल के लिए अनुमान देने के अलावा पिछले साल की खर्च और आमदनी का ब्योरा भी देना होता है।2. एस्टिमेट मिलने के बाद केंद्र सरकार के आला अफसर उसकी पड़ताल करते हैं। इस पर संबंधित मंत्रालयों और व्यय विभाग के अधिकारियों की गहन चर्चा होती है। इसके बाद आंकड़ों को सिफारिशों के साथ वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाता है।3. वित्त मंत्रालय सभी सिफारिशों पर गौर करने के बाद विभागों को उनके खर्च के लिए राजस्व का आवंटन करता है। राजस्व और आर्थिक मामलों का विभाग हालात को गहराई से समझने के लिए किसानों और छोटे कारोबारियों के प्रतिनिधियों और विदेशी संस्थागत निवेशकों से संपर्क करता है। बजट मीटिंग में वित्त मंत्री संबंधित पक्षों के प्रस्ताव और मांगों को जानने के लिए उनसे मिलते हैं। इनमें राज्यों के प्रतिनिधि, बैंकर, कृषि विज्ञानी, अर्थशास्त्री और कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। प्री-बजट मीटिंग खत्म होने के बाद वित्त मंत्री सभी मांगों पर अंतिम फैसला लेते हैं। बजट को अंतिम रूप दिए जाने से पहले वित्त मंत्री प्रधानमंत्री से भी बात करते हैं। बजट पेश होने से कुछ दिन पहले हलवा सेरेमनी होती है। एक बड़ी सी कढ़ाई में तैयार किया जाने वाला हलवा वित्त मंत्रालय के स्टाफ में बांटा जाता है। इसी के साथ बजट की छपाई प्रक्रिया शुरू होती है। प्रक्रिया में लगे अधिकारी और सपोर्ट स्टाफ बजट पेश होने तक मंत्रालय में ही रहते हैं।