December 21, 2024

अंबेडकर के अपमान के खिलाफ 24 को देशव्यापी आंदोलन करेगी बसपा, 23 को ममता बनर्जी भी करेगी प्रदर्शन

नई दिल्ली। संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर पर कथित अपमानजनक टिप्पणी के विरोध में राजनीतिक दलों ने मोर्चा खोल दिया है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) इस मामले में खुलकर सामने आई हैं। बसपा प्रमुख मायावती ने 24 दिसंबर को देशव्यापी आंदोलन का आह्वान किया है, जबकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 23 दिसंबर को भाजपा के खिलाफ राज्यव्यापी प्रदर्शन करेंगी।
ममता बनर्जी का भाजपा पर आरोप
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने संसद में डॉ. अंबेडकर और संविधान मसौदा समिति के अन्य सदस्यों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की। उन्होंने इसे संविधान और लोकतंत्र की रीढ़ पर हमला बताया। ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया पर कड़े शब्दों में बयान देते हुए भाजपा पर जातिवादी मानसिकता रखने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “बाबा साहेब अंबेडकर का अपमान अस्वीकार्य है। भाजपा की हरकतें उसके दलित विरोधी एजेंडे को उजागर करती हैं। 23 दिसंबर को तृणमूल कांग्रेस राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगी। बनर्जी ने कहा कि यह प्रदर्शन दोपहर 2 बजे से 3 बजे तक हर ब्लॉक, नगर पालिका, और कोलकाता के हर वार्ड में आयोजित किया जाएगा। उन्होंने लोगों से इस प्रदर्शन में भाग लेने की अपील की।
बसपा का देशव्यापी आंदोलन
इस मुद्दे पर बसपा प्रमुख मायावती ने भी कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सिलसिलेवार पोस्ट के जरिए इस आंदोलन की जानकारी दी। मायावती ने कहा कि देश के दलित और वंचित वर्ग बाबा साहेब अंबेडकर को भगवान की तरह पूजते हैं और उनके खिलाफ कोई भी अपमानजनक टिप्पणी असहनीय है। मायावती ने अमित शाह के बयान को लेकर कहा कि इससे सर्वसमाज के लोग आक्रोशित हैं। उन्होंने कहा कि अंबेडकर के बनाए संविधान ने देश के उपेक्षित और वंचित वर्गों को आत्मसम्मान और अधिकार दिलाए हैं। मायावती ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी 24 दिसंबर को देश के विभिन्न हिस्सों में आंदोलन करेगी, ताकि भाजपा के दलित विरोधी एजेंडे को उजागर किया जा सके।
राजनीतिक माहौल गरमाया
बसपा और तृणमूल कांग्रेस के इन विरोध प्रदर्शनों से राजनीतिक माहौल गरमा गया है। भाजपा ने अभी तक इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन इस मामले में विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश तेज कर दी है। बाबा साहेब अंबेडकर भारतीय संविधान के निर्माता और देश के वंचित वर्गों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनके प्रति सम्मान और उनकी विचारधारा की रक्षा का सवाल केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक और नैतिक मुद्दा है। ममता बनर्जी और मायावती द्वारा उठाए गए कदम यह संकेत देते हैं कि इस मामले को लेकर विपक्ष भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक गहराएगा। इस विरोध के बीच जनता की निगाहें सरकार की प्रतिक्रिया और इस विवाद का समाधान निकालने पर टिकी हैं।

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