बंगाल में बीजेपी सांसद के घर पर फेके गए देसी बम, कई राउंड फायरिंग, सीआईएसएफ जवान घायल
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना में स्थित जगद्दल क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद अर्जुन सिंह के घर ‘मजदूर भवन’ पर शुक्रवार सुबह देसी बम से हमला किया गया। इस घटना के दौरान कई राउंड फायरिंग भी की गई। घटना के समय अर्जुन सिंह अपने घर पर ही मौजूद थे। हमले में उनके पैर में छर्रे लगने की सूचना मिली है, वहीं एक सीआईएसएफ जवान भी घायल हुआ है। इस हमले ने राज्य की राजनीति में एक बार फिर से हिंसा का सवाल खड़ा कर दिया है। घटना सुबह उस समय घटी जब अर्जुन सिंह अपने घर पर थे। अचानक धमाके की आवाज सुनाई दी, और इस दौरान कई देसी बम उनके घर पर फेंके गए। अर्जुन सिंह ने बताया कि धमाके की आवाज सुनकर जब वे बाहर आए, तभी उनके पैर में छर्रा लग गया। इस हमले में एक सीआईएसएफ जवान भी घायल हो गया। अर्जुन सिंह ने दावा किया है कि यह हमला सुनियोजित तरीके से उनके घर के बाहर करने की कोशिश थी। उन्होंने आरोप लगाया कि इस हमले में पुलिस की भी मिलीभगत हो सकती है, हालांकि कुछ पुलिस अधिकारी भी इस हमले का शिकार बने हैं। बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह ने इस घटना पर तीखा आरोप लगाते हुए कहा कि इसमें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के लोग शामिल हो सकते हैं। उनका कहना है कि यह हमला इसलिए किया गया ताकि राज्य में भय का माहौल बनाया जा सके। अर्जुन सिंह का कहना है कि टीएमसी राज्य में समाप्त हो रही है और इसलिए वह इस प्रकार की हिंसा का सहारा ले रही है। उन्होंने पुलिस पर भी आरोप लगाए कि कुछ पुलिस अधिकारी इस षड्यंत्र में शामिल थे, जबकि अन्य अधिकारी भी हिंसा का शिकार बने। यह पहला मौका नहीं है जब बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह के घर पर हमला हुआ हो। साल 2021 में भी उनके आवास पर इसी प्रकार की घटना हुई थी, जिसमें तीन देसी बम फेंके गए थे। उस घटना के बाद भी अर्जुन सिंह ने आरोप लगाया था कि टीएमसी के समर्थकों द्वारा इस प्रकार की हिंसा को अंजाम दिया गया था। इन हमलों के बाद अर्जुन सिंह की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। इस घटना के बाद बंगाल की राजनीति में हलचल मच गई है। बीजेपी ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और आरोप लगाया है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ चुकी है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि राज्य में विरोधी नेताओं को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है और उन्हें डराने की कोशिश की जा रही है। बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने टीएमसी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह घटना इस बात का प्रमाण है कि राज्य में राजनीतिक हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है। वहीं, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। टीएमसी का कहना है कि बीजेपी द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं और इसका उद्देश्य केवल राज्य सरकार को बदनाम करना है। टीएमसी ने यह भी कहा कि पुलिस घटना की जांच कर रही है और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। घटना के बाद पुलिस और सुरक्षा बलों ने तुरंत कार्रवाई की और घटनास्थल पर पहुंचकर जांच शुरू की। पुलिस का कहना है कि हमले में शामिल दोषियों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है और जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा। सीआईएसएफ जवान की चोटों का भी इलाज किया जा रहा है, और पुलिस ने इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है। पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। राज्य में लंबे समय से राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते हिंसा होती रही है। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि राजनीतिक असहमति को किस हद तक हिंसक रूप में बदल दिया जाता है। इस प्रकार की घटनाएं न केवल राजनीतिक तानाशाही को दर्शाती हैं, बल्कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल खड़े करती हैं। घटना के बाद से अर्जुन सिंह और उनके परिवार की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। पुलिस ने उनके घर के आसपास सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटना को रोका जा सके। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि घटना की जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने इलाके के सीसीटीवी फुटेज की भी जांच शुरू कर दी है ताकि हमलावरों का पता लगाया जा सके। राज्य की कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए यह आवश्यक है कि इस प्रकार की घटनाओं को गंभीरता से लिया जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। इससे राजनीतिक हिंसा पर रोक लगाई जा सकेगी और सभी राजनीतिक दलों को यह संदेश दिया जा सकेगा कि हिंसा के जरिए किसी भी प्रकार का भय या दबाव स्वीकार्य नहीं है। उत्तर 24 परगना में बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह के घर पर हुए बम हमले ने एक बार फिर बंगाल की राजनीति में हिंसा की जड़ें उजागर कर दी हैं। अर्जुन सिंह पर हुए इस हमले से साफ है कि राज्य में राजनीतिक हिंसा की समस्या अब भी बनी हुई है। इससे न केवल राजनीति में गिरावट का संकेत मिलता है, बल्कि यह भी पता चलता है कि राजनीतिक नेताओं और आम जनता की सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इस घटना की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई से ही इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सकता है।