December 27, 2024

फर्जीवाड़ा रोकने के लिए बिहार बोर्ड पहली बार करेगा एआई तकनीक का इस्तेमाल, अगले साल से शुरू होगी व्यवस्था

पटना। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने फर्जीवाड़े पर रोक लगाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाने की घोषणा की है। पहली बार, बिहार बोर्ड अपनी प्रक्रियाओं में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) तकनीकों का इस्तेमाल करेगा। इस व्यवस्था को 2025 से लागू किया जाएगा। यह पहल बिहार को देश का पहला ऐसा राज्य बनाएगी, जहां शिक्षा क्षेत्र में तकनीकी समाधान के माध्यम से फर्जीवाड़े पर सख्त नियंत्रण किया जाएगा। इस कदम की जानकारी बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर ने दी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उद्देश्य
बिहार बोर्ड के अनुसार, कई विद्यार्थी पंजीकरण और परीक्षा प्रक्रियाओं में गलत तरीके अपनाकर फर्जी नाम और जन्मतिथि का इस्तेमाल करते हैं। इस प्रक्रिया से न केवल शिक्षा की साख पर असर पड़ता है, बल्कि अन्य ईमानदार विद्यार्थियों को भी नुकसान होता है। एआई-एमएल तकनीक के माध्यम से अब इन गतिविधियों को प्रभावी रूप से रोका जा सकेगा। पंजीकरण के समय विद्यार्थी अपने दस्तावेजों में नाम और जन्मतिथि जैसी जानकारियों को बार-बार बदलते हैं। इससे न केवल बोर्ड की प्रक्रियाएं प्रभावित होती हैं, बल्कि फर्जी प्रमाणपत्र जारी होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। लेकिन, एआई और एमएल का उपयोग इन बदलावों का विश्लेषण करके धांधली करने वालों को पकड़ने में मदद करेगा।
तकनीकी प्रक्रियाओं का सशक्तिकरण
बिहार बोर्ड न केवल फर्जीवाड़े पर रोक लगाने के लिए एआई तकनीक का इस्तेमाल करेगा, बल्कि अपनी सभी प्रक्रियाओं को तकनीकी रूप से मजबूत बनाने की दिशा में भी काम करेगा। बोर्ड के अध्यक्ष ने बताया कि इसकी शुरुआत इंटरनेशनल स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (ISO) प्रमाणन प्राप्त करने से होगी। आईएसओ प्रमाणन प्राप्त करने के बाद, बोर्ड की सभी प्रक्रियाएं वैश्विक मानकों के अनुरूप हो जाएंगी। इसके लिए बिहार बोर्ड के सिस्टम को अपग्रेड किया जाएगा और एक उपयुक्त एजेंसी का चयन निविदा प्रक्रिया के माध्यम से किया गया है। एआई-एमएल तकनीक फर्जी नाम और जन्मतिथि की पहचान कर सकती है। इससे फर्जी प्रमाणपत्र जारी होने की संभावना खत्म होगी। तकनीकी समाधान के कारण बोर्ड की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़ेगी और गलती की गुंजाइश कम होगी। आईएसओ प्रमाणन और एआई तकनीक का उपयोग बोर्ड की साख और विश्वसनीयता को मजबूत करेगा। मैनुअल वेरिफिकेशन की आवश्यकता कम होगी, जिससे समय और मानव संसाधनों की बचत होगी।
बिहार बोर्ड का दृष्टिकोण
यह पहल न केवल बिहार बोर्ड की शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ बनाएगी, बल्कि यह अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकती है। शिक्षा के क्षेत्र में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए तकनीक का इस्तेमाल एक नई शुरुआत है, जो अन्य बोर्ड्स को भी इस दिशा में कदम उठाने के लिए प्रेरित करेगी। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर का कहना है कि यह कदम शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि इस पहल को सफल बनाने के लिए व्यापक तैयारी की जा रही है। बोर्ड का उद्देश्य न केवल तकनीकी समाधान लागू करना है, बल्कि इससे सभी विद्यार्थियों के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित करना है। बिहार बोर्ड द्वारा फर्जीवाड़े पर रोक लगाने के लिए एआई-एमएल तकनीक का उपयोग शिक्षा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है। इससे न केवल बोर्ड की प्रक्रियाएं अधिक सटीक और विश्वसनीय बनेंगी, बल्कि फर्जीवाड़ा करने वालों पर भी सख्त कार्रवाई संभव होगी। यह पहल शिक्षा के क्षेत्र में एक नई दिशा की शुरुआत है, जो शिक्षा को अधिक पारदर्शी, सटीक और विश्वसनीय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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