छुट्टियों में कटौती केंद्र के शिक्षा के अधिकार अधिनियम के कारण, सांप्रदायिक उन्माद न फैलाये भाजपा : राजीव रंजन
पटना। सरकारी स्कूलों में छुट्टियों में हुई कटौती को लेकर भाजपा नेताओं के आ रहे बयानों पर पलटवार करते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा है कि उन्माद की राजनीति में अंधी हो चुकी भाजपा अब छात्र-छात्राओं के मन में भी सांप्रदायिकता का जहर बोने की कोशिशों में लग चुके हैं। इनकी मतिशुन्यता इतनी बढ़ चुकी है कि यह शैक्षणिक कलेंडर को संतुलित करने के लिए किये जा रहे प्रयासों को भी धार्मिक चश्मे से देखने लगे हैं। यह दिखाता है कि अपनी राजनीति चमकाने के लिए यह लोग कितने निचले स्तर तक गिर सकते हैं। उन्होंने कहा कि दिसंबर तक स्कूलों से छुटियाँ कम करने के सरकार के जिस निर्णय पर भाजपा के नेता छाती कूट रहे हैं, वह वास्तव में केंद्र सरकार के शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुसार लिया गया है। इस अधिनियम के मुताबिक प्राथमिक विद्यालयों में कम से कम 200 दिन और माध्यमिक विद्यालयों में 220 कार्यदिवस होने ही चाहिए। प्राकृतिक आपदाओं, चुनाव व परीक्षा आदि को लेकर बच्चों की पढाई पहले से प्रभावित हो चुकी है। इसीलिए उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम का पालन करते हुए यह निर्णय लिया है। सरकार की मंशा है कि किसी भी कीमत पर बच्चों का सिलेबस समय से पूरा हो जाए और उनका भविष्य उज्ज्वल हो। वास्तव में भाजपा को यदि बिहार के छात्र-छात्राओं के भविष्य की थोड़ी से भी चिंता रहती तो वह सरकार के इस निर्णय की प्रशंसा करते। लेकिन महज राजनीतिक रोटियां सेंकने और सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने के लिए वह राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार की भी आलोचना कर रहे हैं। राज्य सरकार को बदनाम करने की हड़बड़ी में इन्हें यह तक याद नहीं है कि इस निर्णय के लिए उनकी ही सरकार जिम्मेवार है। जदयू महासचिव ने कहा कि भाजपा को यदि छुट्टियों के कम होने से आपत्ति है तो उन्हें केंद्र सरकार से अपने अधिनियम में बदलाव करने के लिए कहना चाहिए। साथ ही उन्हें बताना चाहिए कि छात्र-छात्राओं का सिलेबस समय से पूरा करवाने की उनके पास दूसरी क्या योजना है।