प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी पर बोले भाजपा अध्यक्ष, कहा- खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे, ऐसे लोग आते रहेंगे

पटना। जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। बीपीएससी री-एग्जाम समेत चार मांगों को लेकर गांधी मैदान में आमरण अनशन कर रहे प्रशांत किशोर को सोमवार की सुबह 3:45 बजे पुलिस ने हिरासत में ले लिया और बाद में उनकी गिरफ्तारी का ऐलान कर दिया। इस घटना पर विभिन्न राजनीतिक दलों की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं।
भाजपा अध्यक्ष का हमला
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने प्रशांत किशोर पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि “खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे” की कहावत उन पर सटीक बैठती है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर छात्रों के नाम पर अपनी राजनीति चमका रहे थे। जायसवाल ने कहा, “ऐसे लोग आते-जाते रहते हैं और उनकी राजनीति लंबी नहीं चलती। प्रशांत किशोर गैर-कानूनी तरीके से अनशन कर रहे थे, प्रशासन ने उचित कार्रवाई की।”
कांग्रेस और राजद का पलटवार
प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी पर कांग्रेस और राजद ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। दोनों दलों ने इसे लोकतंत्र का गला घोंटने वाला कदम बताया। राजद ने कहा कि नीतीश सरकार विपक्ष की आवाज दबाने के लिए प्रशासन का दुरुपयोग कर रही है। कांग्रेस ने प्रशांत किशोर के समर्थन में कहा कि यह कदम सरकार की असहिष्णुता को दर्शाता है।
पुलिस कार्रवाई पर विवाद
प्रशांत किशोर को हिरासत में लेते समय पुलिस पर अभद्रता के आरोप लगे हैं। जन सुराज कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर को पुलिसकर्मी ने थप्पड़ मारा। इसके अलावा, पुलिस द्वारा बल प्रयोग की भी खबरें आई हैं। प्रशांत किशोर को स्वास्थ्य जांच के लिए एम्स ले जाया गया, जहां जन सुराज कार्यकर्ताओं की भीड़ जुट गई। इसके बाद पुलिस ने उन्हें किसी अन्य स्थान पर ले जाने का फैसला किया।
जन सुराज का विरोध प्रदर्शन
प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी के बाद जन सुराज कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया। गांधी मैदान से लेकर एम्स तक कार्यकर्ताओं ने अपनी नाराजगी जाहिर की। उनका कहना है कि प्रशांत किशोर छात्रों और बेरोजगार युवाओं के हक की लड़ाई लड़ रहे थे। उनकी गिरफ्तारी से सरकार की मंशा साफ हो गई है कि वह जन विरोधी है। प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ले आई है। जहां भाजपा इसे कानून व्यवस्था का पालन बता रही है, वहीं विपक्ष इसे लोकतंत्र पर हमला करार दे रहा है। इस घटना ने प्रशांत किशोर की राजनीतिक गतिविधियों को एक नई दिशा दी है और इसे लेकर राज्य की राजनीति और गरमा सकती है।

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